पीएम मोदी की श्रीलंका यात्रा का मिला फायदा, इस मामले को लेकर कोलंबो ने चीन को सुनाई खरी-खरी
बीजिंग में हाल में सपंन्न ‘बेल्ट एंड रोड’ (BnR) फोरम में भाग लेने वाले श्रीलंका ने कश्मीर मुद्दे पर यह कहते हुए भारत की चिंता का समर्थन किया कि 50 अरब डॉलर की लागत वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को स्वीकार करना नई दिल्ली के लिए मुश्किल है क्योंकि यह उसके ‘हितों के केंद्र’ से गुजरता है. श्रीलंका के विशेष कार्य मंत्री सरत अमनुगामा ने कहा कि भारत जो हाई प्रोफाइल बैठक में शामिल नहीं हुआ चीन की ‘वन बेल्ट एंड वन रोड’ (OBOR) पहल में ‘काफी प्रसन्नता’ से शामिल हुआ होता. उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह पीएम नरेंद्र मोदी श्रीलंका के दौरे पर गए थे. वहां पर उनका जोरदार स्वागत किया गया था. लोगों ने भी पीएम मोदी का खूब स्वागत किया. इस दौरान श्रीलंका ने चीनी पोत को लंगर डालने की इजाजत भी नहीं दी थी.
उन्होंने कहा, ‘दुर्भाग्य से, मुद्दा भारतीय हितों के केंद्र से गुजर रहा है. अगर यह निर्विवादित क्षेत्र होता तो भारत बातचीत के जरिए रास्ता निकाल लेता. यहां विशेषकर कश्मीर मुद्दे को घसीट लिया गया है, जिससे भारत के लिए सहज होना मुश्किल हो जाता है.’ मंत्री ने कहा कि भारत, चीन और श्रीलंका की प्राचीन रेशम मार्ग में काफी बड़ी भागीदारी थी और फाह्यान जैसे चीनी बौद्ध विद्वानों ने भारत और श्रीलंका दोनों की यात्रा की जिससे द्वीप देश में बौद्ध पुरावशेषों की बड़ी खोज हुईं.
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उन्होंने कहा, ‘चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने कनेक्टिविटी पर जोर दिया है. सदियों पहले ये देश आपस में जुड़े थे. यह इन देशों को कुछ तार्क आधारों पर जोड़ेगा. एक बार क्षेत्रीय समस्याएं सुलझ जाएं तो पहल में भारत की बड़ी भूमिका होगी .’ मंत्री ने कहा कि किसी भी तरह भारत को इसमें बड़ी भूमिका निभानी होगी क्योंकि आप भारत की भूमिका के बिना इस तरह के किसी क्षेत्र या मार्ग के बारे में नहीं सोच सकते जो भारत के पास से गुजरता हो.