दिल की डायरी में इस अभिनेता ने खोले जिंदगी के राज, बोले- ‘मलाल रहेगा मुझे कि मेरे दोनों बच्चे कब…’

मेरा जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, इसलिए मुझे फिल्मी दुनिया में अपनी जगह बनाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। इसका मुझे कोई मलाल भी नहीं, हर किसी को मेहनत करनी ही पड़ती है लेकिन एक चीज का मलाल, जो मुझे हमेशा रहेगा कि मुझे पता ही नहीं चला कब मेरे बच्चे बड़े हो गए। मैं उनका बचपन ठीक से देख ही नहीं पाया। दोनों जब बड़े हुए तो अपनी-अपनी जिंदगी में मशरूफ हो गए। हालांकि, वे दोनों अपनी मसरूफियत के बाद भी घर पर पूरा वक्त देते हैं। दिल की डायरी में इस अभिनेता ने खोले जिंदगी के राज, बोले- 'मलाल रहेगा मुझे कि मेरे दोनों बच्चे कब...'

मैं समझता हूं कि व्यस्त रहना मेरे लिए इसलिए जरूरी था, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि जो संघर्ष मैंने देखा, वह मेरे बच्चे भी देखें। अब उनका वक्त है। दोनों को कामयाब होते देख खुशी होती है। मैंने न कभी किसी निर्देशक-निर्माता को अपने बेटे के लिए फिल्में बनाने के लिए कहा और न ही एकता के लिए किसी के आगे मदद मांगी। दोनों खुद ही अपनी मंजिल तय करते रहे। दोनों का संघर्ष मैंने देखा है। खासकर, एकता को लेकर एक बात कहूंगा कि उसने अपना मुकाम पाने के लिए बहुत संघर्ष किया है।

मेरी बेटी 17 साल की थी, जब उसने अपनी कंपनी खोली। जिस उम्र में बच्चे शौक-मौज करते हैं, उस उम्र में मेरी बेटी काम करने लगी थी। अगर वह चाहती, तो कुछ न करती, लेकिन उसने अपने लिए अलग राह चुनी। एड फिल्ममेकर कैलाश सुंदरनाथ से उसने बारीकियां सीखीं और फिर बिना किसी बड़ी मदद के अपना मुकाम बनाया। मुझे याद है, उस समय मैं बहुत काम नहीं कर रहा था, तो मेरे पास जो भी पैसा था, वह मैंने एकता को उसकी कंपनी खोलने के लिए दे दिया। उस समय दूरदर्शन पर शोज आते थे। तब ऐसा था कि आपको बेहतरीन कंटेट बनाकर उसे बेचना है और आपके पास कुछ सेंकड होते थे, उसे बेचने के लिए। आपको एड मिले- न मिले यह भी था।

शुरू में कुछ साल तो ऐसा हुआ कि वह बड़ी परेशानियों से गुजरी। कभी एड नहीं मिलते थे, तो कभी कुछ अटक जाता था। वह काफी परेशान हो गई थी, लेकिन फिर भी उसने किसी से मदद नहीं मांगी। एक बार जब काफी दिक्कतें खड़ी हो गई थीं, तो उसने कहा कि मुझे 15-20 दिनों का समय दीजिए, मैं सब ठीक कर दूंगी और उसने यह करके दिखाया। उसके बाद मेरी बेटी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। मुझे लगता है कि अगर आपके पास हुनर है, मेहनत कर रहे हैं, तो कोई भी आपको रोक नहीं सकता है।

आज टेलीविजन और फिल्म जगत में एकता जिस मुकाम पर है, उसके पीछे उसका हुनर और मेहनत है। कड़ी मेहनत करने की जो क्षमता उसके पास है, उस तरह का गुण मैंने बहुत ही कम लोगों में देखा है। एकता ने उस समय छोटे पर्दे का रुख किया, जब लोग टीवी के लिए काम करना कमतर समझते थे। बालाजी टेलीफिल्म की स्थापना से न केवल एकता ने टीवी कंटेट बदला, बल्कि कई ऐसे कलाकारों को काम और पहचान दी, जो बड़े पर्दे का संघर्ष सह न पाए। मैं फख्र से कहता हूं कि मुझे नाज है एकता का पिता होने पर। जब देखता हूं कि 17 साल की एक बच्ची की मेहनत आज क्या रंग लाई है, तो बहुत खुशी होती है। आज लोग मुझसे ज्यादा बालाजी निर्माता को और एकता कपूर को जानते हैं, इससे बड़ी बात एक पिता के लिए और क्या होगी?

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