अयोध्या में धटा वह रक्त रंजित अध्याय, जिसमें सरयू नदी में सेवकों की बही लाशें: क्या मुलायम देंगे जवाब?

ये घटना है 2 नवम्बर 1990 की, जब श्रीराम की नगरी अयोध्या में सुबह सुबह कारसेवको ने जय श्रीराम के नाम का उद्गोष शुरू किया, तो पहले से ही तिलमिलाए मुल्लायम ने अचानक कारसेवको पर गोलियों की बौछार करा दी।अयोध्या में धटा वह रक्त रंजित अध्याय, जिसमें सरयू नदी में सेवकों की बही लाश: क्या मुलायम देंगे जवाब?

 

जहाँ बॉर्डर पर भी युद्ध शुरू होने से पहले एक चेतावनी दी जाती है, वही मुल्लायम ने ऐसा करना जरुरी नही समझा, जिसके चलते भक्तों को बचने का मौका भी नहीं मिला।

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अयोध्या खून में नहा रही थी, सरयू के पुल पर कारसेवको के सामान और लावारिश पड़ी लाशें, एक कायर और क्रूर मुख्यमंत्री से पूछ रही थी, की क्या सनातन की इस भूमि पर अपने इष्ट की आराधना इतना बड़ा जुर्म हो गया, की उसकी सजा इतनी भीभत्स मौत थी?

पर मुल्लायम के कानों तक अभी ये आवाज़ नहीं पहुचीं थी और खून से लथपथ अयोध्या की गलिया भगवान् राम को याद कर कर अपनी दुर्दशा पर व्यतिथ थी। पर क्रूरता यही खत्म नही हुई थी, पुलिस ने इन लाशों को ट्रको में भर कर, सरयू नदी में फेक दिया।

इन्ही लाशो में दो लाशें थी, कोठारी बंधुओ की, जिनमे से एक भाई अपनी जान बचाने के लिए, एक घर में घुस गया था, पर पुलिस ने उन्हें वहां से निकाल कर उनके सर में गोली मारी, और जब उनका भाई उस लाश की तरफ दौडा तो उनके भाई को भी मुल्लायम की पुलिस ने मौत के घाट उतार दिया।

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हृदयविद्रावक द्रश्य तो वो था, जब सरयू में अपने परिजनों की लाश निकालते समय, एक 10 वर्ष के बच्चे की लाश भी निकली, जब भगवा में रंगे साधुओ, जिन्हें भारत वर्ष आज तक पूजता आया है, उनके रक्त से लाल हुए शव श्री राम की नगरी में लावारिस पड़े थे।

इस घटना में प्रशासन ने मात्र 18 मौतों की पुष्टि की थी, जब की असली संख्या आज तक किसी को नही पता।

कोठारी भाइयो के माता पिता, सरयू से अपने परिजनों की लाशें निकालते लोग, इस काण्ड में विधवा हुई माताएं बहने और उन्ही कारसेवको की आत्मा, एक बार तो अपने हिन्दू भाइयो से पूछती होंगी, की ऐसा भी क्या ख़ास था मुल्लायम में की तुमने उसे 3 बार और सत्ता दे दी और आज भी उसके समर्थन में खड़े मिलते हो।

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आज अपने आराध्य श्री राम के लिए प्राण न्योछावर करनेवाले उन्ही कारसेवको की पुण्यतिथि पर नमन है।

सनातन के उन वीर योद्धाओं को प्रणाम जिन्हें एक क्रूर और निकृष्ट मुख्यमंत्री की नीचता के चलते अपने प्राण गवाने पड़े।

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