चैंपियंस ट्रॉफी 2017 का फाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच लंदन के ‘द ओवल’ मैदान पर खेला जाएगा। भारत शुरू से ही इस प्रतियोगिता का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। वहीं पाकिस्तान ने अपना पहला मैच गंवाने के बाद सभी को चौंकाते हुए फाइनल में जगह बना ली है। फाइनल के महामुकाबले में भारत पाकिस्तान को हल्के में लेने की भूल नहीं कर सकता। जानिए ऐसी क्या बाते हैं,
टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी
चैंपियंस ट्रॉफी 2017 में नया ट्रेंड देखने को मिला है। पिछले 8 मैचों में बाद में बल्लेबाजी करने वाली टीम जीतती आई है। कप्तान भी टॉस जीतकर पहले फील्डिंग करने का फैसला कर रहे हैं। भारत ने पहले दो बार बल्लेबाजी की है, जिसमें उसे एक बार हार मिली है। साथ ही टॉस जीतने के बाद टीम अपने प्लान को सही दिशा में बढ़ा सकती है।
स्पिनरों का रोल हो अहमटीम इंडिया का रिकॉर्ड है कि जब-जब भारतीय स्पिनर 11वें से 40वें के बीच 3 या उससे ज्यादा विकेट चटकाते हैं, भारत हर मैच जीतता है। यानी कि स्पिन की सफलता टीम की जीत की गारंटी है। हालांकि, इसके साथ ही स्पिनरों को किफायत के साथ गेंदबाजी करनी होगी। इसका मतलब है कि जडेजा, अश्विन और जाधव की फिरकी टीम को जीत दिला सकती है।
सलामी जोड़ी की शुरुआत
टीम इंडिया के सलामी जोड़ी यानी रोहित शर्मा औऱ शिखर धवन ने टीम इंडिया को शानदार शुरुआत दी है। टीम इंडिया की बेहतरीन बल्लेबाजी का आलम यह है कि पिछले दोनों मैचों में भारत ने सिर्फ 3 विकेट ही गंवाए हैं। रोहत-धवन की जोड़ी ने दो शतकीय और 1 अर्धशतकीय साझेदारी कर टीम के लिए बड़े स्कोर की नींव रखी है। भारत के मध्यक्रम को सिर्फ दो ही मैचों में बल्लेबाजी का मौका मिला है।
पाकिस्तान के सलामी बल्लेबाजी को रोकना
एक मैच को छोड़ दें, तो इस प्रतियोगिता में पाकिस्तान का मध्यक्रम उसकी कमजोर कड़ी रहा है। मोहम्मद हफीज, शोएब मलिक और बाबर आजम को हाथ खोलने का मौका नहीं मिला है। पाकिस्तान की बल्लेबाजी अजहर अली की स्थिरता और फखर जमान के आक्रमण पर निर्भर करती है। ऐसे में यदि दोनों को जल्दी आउट कर दिया जाए, तो पाकिस्तान के गेंदबाजों पर दबाव बनाया जा सकता है।