मुसीबत में आ सकते हैं अगर शिवलिंग की परिक्रमा करते समय नहीं रखेंगे इन बातों का ध्यान…

शिव पूजन में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्त्व है। मुख्य रूप से सावन के महीने में लोग शिवलिंग को जल चढ़ाते हैं , शिव लिंग में बेल पत्र, धतूरा और भांग अर्पित करते हैं। इसके अलावा शिवलिंग पर चंदन का लेप किया जाता है जिससे भगवान् शिव प्रसन्न होते हैं और शिव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

इन बातों का ध्यान रखना है जरूरी

शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग की तासीर को गर्म माना जाता है और इसे ठंडक प्रदान करने के लिए जलधारा से शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। 

शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग की परिक्रमा हमेशा बाईं तरफ से की जाती है। ऐसा करने से ही शिव पूजन का विशेष फल प्राप्त होता है। बाईं ओर से शुरू करके जलहरी तक जाकर वापस लौट कर दूसरी ओर से परिक्रमा करें। 

इसके साथ विपरीत दिशा में लौट दूसरे सिरे तक आकर परिक्रमा पूरी करें। इस बात का ख्याल रखें कि परिक्रमा दाईं तरफ से कभी भी शुरू नहीं करनी चाहिए। 

शिवलिंग की जलहरी को भूल कर भी नहीं लांघना चाहिए। अन्यथा इससे घोर पाप लगता है। इससे मनुष्य को शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

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