SC-ST Act: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीजेपी के दलित सांसद परेशान

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे। उच्चतम न्यायालय के मुताबिक गिरफ्तारी से पहले जांच जरूरी होगी। इस एक्ट के कड़े प्रावधानों को लचीला करने पर दलित सांसदों ने नाराजगी जताई है। भारतीय जनता पार्टी के दलित सांसदों ने इस बाबत सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत से मुलाकात की है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भी यह मामला उठाने के लिए कहा है। सांसदों ने सरकार से अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर की जाए। 

 

SC-ST Act: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से बीजेपी के दलित सांसद परेशानवहीं इस मामले पर कांग्रेस ने भी इस अधिनियम में संशोधन की मांग की है। आनंद शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबको विचार करने की जरूरत है। एससी, एसटी वर्ग के बीच असुरक्षा की भावना है। देशहित के लिए इस फैसले की समीक्षा की जानी चाहिए। अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस नेता पीएल पुनिया ने कहा कि लोगों को डकैती और हत्या जैसे मामलों में फंसाया जाता है। 

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि सरकार इस आदेश का अध्ययन करेगी और लोगों की चिंताओं पर भी मंथन किया जाएगा। बीजेपी के एससी सेल के प्रमुख और सांसद विनोद कुमार सोनकर का कहना है कि यह संशोधन दलितों को परेशान करने वाले लोगों को सजा से बचाएगा। उन्होंने कहा कि अब सिर्फ एससी और एसटी वर्ग के आरक्षण को खत्म करना ही बचा है। मुझे डर है कि इस दिशा में भी कदम न बढ़ा दिए जाएं।  

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब दलितों से जुड़े केस को दर्ज करने से पहले डीएसपी स्तर की जांच करानी होगी। किसी भी सरकारी अधिकारी को गिरफ्तार करने से अपने सीनियर अधिकारी से अनुमति लेनी पड़ेगी। कोर्ट का कहना है कि इस एक्ट के दुरुपयोग के कई मामले सामने आ रहे हैं। महाराष्ट्र की तरफ से दायर याचिका के बाद यह फैसला आया है। 

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