महिला सुरक्षा : पेन से लेकर दुपट्टे तक को बनाएं अपना हथियार

इंदौर। महिलाओं के साथ बढ़ रहे अपराधों के खिलाफ खुद महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए नईदुनिया द्वारा मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में ‘स्वरक्षाः आत्मरक्षा ही संपूर्ण सुरक्षा’ अभियान की शुरुआत की गई है। इसमें स्कूल की छात्राओं को सेल्फ डिफेंस सिखाकर उन्हें अपनी रक्षा स्वयं करने में सक्षम बनाने की पहल की जा रही है।महिला सुरक्षा : पेन से लेकर दुपट्टे तक को बनाएं अपना हथियार

इसी क्रम में शनिवार को इंदौर में सन्मति हासे स्कूल में इंदौर जिला कराते एसोसिएशन के सचिव व अंतरराष्ट्रीय कोच विनय यादव व कराते कोच रानू तांबे ने कराते खिलाड़ियों के साथ मिलकर कराते से स्वरक्षा की तकनीक बताई। इस विधा में छात्राएं अपने से शारीरिक बल में मजबूत अटैकर को मात देकर अपनी रक्षा कर सकती हैं।

विशेषज्ञों ने छात्राओं को बताया कि अपराध समय और स्थान का इंतजार नहीं करता है। आपके साथ कोई आपराधिक घटना कभी भी और कहीं भी हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने पास मौजूद सामान्य चीजों और आसपास के वातावरण में मौजूद चीजों को हथियार बनाकर अपराधी का सामना कर खुद को सुरक्षित कर सके।

छात्राओं को पेन के जरिए हमला करना, दुपट्टे के इस्तेमाल से अटैकर को धूल चटाना सिखाया गया। छात्राओं को नानचाक, ब्लॉक, पंच, किक्स आदि की प्रैक्टिस भी कराई गई। छात्राओं और शिक्षिकाओं ने इस पहल की सराहना की और वादा किया कि वे आगे प्रशिक्षण लेकर खुद को हर परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार करेंगी और दूसरी महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित करेंगी।

प्रशिक्षण में इंटरनेशनल कराते प्लेयर मुस्कान चौहान व पलक शर्मा और नेशनल प्लेयर प्रिया कोल्हे, पलाश शर्मा, मुस्कान विश्नोई व शीतल यादव ने भी डेमो दिया। इस दौरान छात्राओं को हाथ से ईंट फोड़ने का डेमो भी दिया गया। रानू तांबे ने कहा कि कराते के साथ वुमंस को हर दिन कम से कम 30 मिनट का वर्कआउट जरूर करना चाहिए। तकनीक के साथ फिजिकल स्ट्रेंथ भी मायने रखती है।

अकसर इस तरह होता है अटैक, ऐसे करें बचाव

जब कोई सामने से गला दबाए- सामान्य तौर पर लड़की की हाइट लड़के से कम होती है। जब कोई अटैकर सामने से गला दबाए और हाइट में अधिक हो तो उसकी कलाई पर पकड़ बनाते हुए नीचे की ओर जाएं। झटके से पकड़ हटाते हुए हथेली से उसकी आंखों पर मारें। जब तक वह इस हमले से संभल जाए उसकी नाक पर वार करें। इसमें तकनीक के अलावा ताकत की खास जरूरत नहीं होगी। इस दौरान जब तब अटैकर संभलेगा आप वहां से भाग सकेंगी।

नाइफ अटैक

नाइफ अटैक सीधे पेट पर किया जाता है। जब भी ऐसी परिस्थिति आए तो पहले अटैकर का हाथ पकड़कर उसे नीचे करते हुए अपना पेट पीछे की ओर करें। उसकी कलाई का डायरेक्शन बदलते हुए 45 डिग्री पर घूमते हुए उसके गले को लॉक कर दें।

जब कोई मनचला हाथ पकड़ ले

अकसर मनचले सरेराह युवतियों का हाथ पकड़ लेते हैं और वे छुड़ा भी नहीं पाती हैं। इसके लिए भी विशेषज्ञों ने छात्राओं को तकनीक बताई। जैसे ही कोई हाथ पकड़े तो पंच पॉजीशन में आ जाएं और ऊपर की ओर खीचें। इसमें पोरों का मूवमेंट बहुत महत्वपूर्ण होता है। बचाव के साथ अटैक भी एक साथ हो जाता है।

जब कोई पीछे से पकड़ ले

अकसर महिलाओं को गलत इरादा रखने वाले पीछे से दबोचने की कोशिश करते हैं। इससे बचाव के लिए नीचे की ओर होकर ग्रिप को बदलें। सिकोडाची (कराते में बैठने का एक तरीका) पॉजीशन में आएं। अटैकर की गर्दन पकड़कर उसे सामने गिरा दें और सीधे चेहरे पर पंच मारें। इसके लिए स्टेमिना अच्छा होना जरूरी है।

जब कोई मुंह दबाए

अकसर बदमाश शोर रोकने के लिए मुंह दबाता है। छोटी बच्चियों को मुंह दबाकर ही ले जाने की कोशिश की जाती है। ऐसे में जब भी कोई मुंह दबाए तो उसके मुंह दबाने वाले हाथ के अंगूठे को जोर से ट्विस्ट कर दें। यह छोटा सा अटैक भी बहुत कारगार है।

बढ़ेगा खुद का मनोबल

आज के सिनेरियो में जो चल रहा है, वह काफी दुखदायी है। महिलाओं की सुरक्षा आज की सबसे बड़ी चुनौती है। इस तरह के आयोजनों से लड़कियां मजबूत और आत्मनिर्भर होंगी। वे अपनी सुरक्षा तो कर सकेंगी साथ ही दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगी।

स्कूल में आत्मरक्षा के गुर सिखाना जरूरी

आज के दौर में महिलाओं को पढ़ने, नौकरी करने के लिए घर सें बाहर जाना ही पड़ता है। ऐसे में उन्हें खुद की सुरक्षा करने में सक्षम होना ही चाहिए। सेल्फ डिफेंस को अनिवार्य शिक्षा के तौर पर जोड़ा जाना चाहिए। 

यह सराहनीय कदम

नईदुनिया ने जो कदम उठाया वह सराहनीय है। स्कूल में छात्राओं के पैरेंट्स ने स्वरक्षता अभियान की प्रशंसा की। इंदौर में चार महीने की बच्ची के साथ दर्दनाक हादसा हुआ वो दुखदायी है। इन हादसों को देखकर ऐसे अभियान चलाना जरूरी है। 

अपराधों पर अंकुश लगेगा

इस तरह के अभियान स्कूल में समय-समय पर होना चाहिए, इससे अपराधों पर अंकुश लगेगा। सेल्फ डिफेंस का कोर्स अनिवार्य होना चाहिए। बच्चे खुद अपनी सुरक्षा कर लेंगे तो पैरेंटस की भी बच्चों के प्रति चिंता कम होगी। 

सभी सीखें आत्म रक्षा का कौशल

वैसे तो स्कूल में दुसरे भी आयोजन होते हैं, पर सेल्फ डिफेन्स उन सब से बेहतर आयोजन लगा। मैं चाहती हूॅं कि आज के समय में सभी लड़कियां आत्म रक्षा के लिए सेल्फ डिफेन्स के गुर सिखें।  छठीं

अपनी सुरक्षा की फ्रिक खुद करे

– सेल्फ डिफेन्स के प्रशिक्षण से मेरा आत्मविश्वास बढा है। यह सभी को सिखना चाहिए, स्कूल व बाजार आते जाते मनचलों की छेड़छाड़ का शिकार होना पड़ता है। पर जब आपको सेल्फ डिफेन्स आता है तो आप मनचलो को सबक सिखा सकते हों। नईदुनिया के इस आयोजन से हमने छेड़छाड़ और हमले की स्थिती से निपटने के तरीके सिखें है।

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