महाकुंभ में बिछड़ी थी महिला, परिवार ने पुरी से प्रयागराज तक ढूंढा, 10 दिन बाद घर पर जो दिखा, सबके उड़े होश!
ये घटना वाकई अद्भुत है! एक महिला जिसने कभी पूजा पाठ नहीं किया. अचानक उसके मन में महाकुंभ स्नान की इच्छा जगी. वह मोहल्ले वालों के साथ जमशेदपुर से प्रयागराज आई. प्रयागराज में संगम स्नान किया और गंगाजल भरकर घर लौटने के लिए संगत के साथ प्रयागराज जंक्शन पहुंची. लेकिन, यहां उसकी ट्रेन छूट गई. वह दल से बिछड़ गई. उसके बाद जो हुआ, किसी के लिए पहली बार में उस पर यकीन कर पाना मुश्किल है, लेकिन घरवालों की मानें तो यह सच है और सच अद्भुत है.
जमशेदपुर की कांति देवी (70) छायानगर में अपनी बेटी, नतनी और नाती के साथ रहती हैं. परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कैटरिंग का काम भी करती हैं. प्रयागराज महाकुंभ 2025 में स्नान करने के लिए कांति देवी के मन में भी प्रबल इच्छा जगी. उन्होंने 24 जनवरी को अपने इलाके के 35 लोगों के साथ टाटानगर से प्रयागराज जाने का फैसला किया. टाटा-जम्मू तवी एक्सप्रेस से यात्रा की. अगले दिन 25 जनवरी को उन्होंने संगम में डुबकी लगाई और परिवार के लिए पवित्र जल भी भर लिया.
भीड़ में बिछड़ गईं कांति देवी
कुंभ स्नान के बाद सभी लोग अपने-अपने सामान के साथ घर लौटने की तैयारी में थे. कांति देवी और उनका समूह पुरुषोत्तम एक्सप्रेस से प्रयागराज से जमशेदपुर लौटने वाला था. उनके बैग में कपड़े, खाने का सामान और करीब 7,000 रुपये थे. प्रयागराज जंक्शन पर बहुत भीड़ थी. कांति देवी ने ट्रेन में घुसने से पहले अपना बैग अपने साथियों को पकड़ा दिया और फिर गंगाजल की पिपिया और कुछ कपड़े उठाने के लिए मुड़ीं. इतने में ट्रेन छूट गई. अत्यधिक भीड़ के कारण कांति देवी ट्रेन नहीं पकड़ पाईं. वह अकेली, निराश और असहाय स्टेशन पर बैठ गईं.
साहसी निर्णय लिया
काफी देर तक उन्होंने मदद मांगने की कोशिश की, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली. उनके पास न पैसा थे, न खाना, न ही कोई संपर्क का साधन. उनके पास बस कुंभ स्नान के बाद लिया गया पवित्र गंगाजल था. तभी उन्होंने एक साहसी निर्णय लिया. तय किया अब वह पैदल ही जमशेदपुर जाएंगे. प्रयागराज से जमशेदपुर की दूरी करीब 700 किलोमीटर है.
10 दिन में 700 KM पैदल सफर
25 जनवरी से कांति देवी ने पैदल यात्रा शुरू की. उम्र अधिक होने के कारण वह न ठीक से बोल पाती हैं, न ठीक से सुन पाती हैं, लेकिन फिर भी अपने दृढ़ संकल्प और महादेव की कृपा से वह आगे बढ़ती रहीं. कांति देवी का दावा है कि बीते दस दिनों में उन्होंने न कुछ खाया और न सोईं. बस पानी पीते हुए चलती रहीं. बिना किसी साधन के लगातार 10 दिन तक चलते हुए उन्होंने 700 किलोमीटर की दूरी तय की.
परिवार ने भी की खोजबीन
कांति देवी के बिछड़ने के बाद उनके परिवार में हड़कंप मच गया. कुछ लोग पुरी की ओर निकल गए, क्योंकि उन्हें लगा कि शायद ट्रेन से वह वहां चली गई हों, क्योंकि पुरुषोत्तम एक्सप्रेस पुरी तक जाती है. आधे लोग गाड़ी बुक करके प्रयागराज गए. तमाम जगह उनकी फोटो भी लगवाई गई. लेकिन, किसी को उम्मीद नहीं थी कि वह पैदल ही घर पहुंच जाएंगी.
कभी पूजापाठ नहीं किया था
आखिरकार, 4 फरवरी को कांति देवी अपने घर जमशेदपुर पहुंच गईं. परिवार वालों को विश्वास था कि उनकी मां सुरक्षित घर लौटेंगी, क्योंकि वे अपने कुलदेवी-देवताओं में गहरी आस्था रखते हैं. कांति देवी ने कभी पूजा-पाठ नहीं किया था, लेकिन न जाने क्यों, इस बार उन्होंने कुंभ स्नान का संकल्प लिया. उसे पूरा भी किया.