एक्शन में सीएम योगी, कानून-व्यवस्था को लेकर…

योगी आदित्यनाथ अपने दूसरे कार्यकाल में बिल्कुल नए और बदले हुए अंदाज में काम कर रहे हैं. कानून व्यवस्था को बेहतर करने और अपराधियों में भय बनाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने अपने पुलिस अधिकारियों को प्रदेश के टॉप-50 माफियाओं को चिह्नित करने और उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं. मुख्यमंत्री ने कोर्ट में चल रहे मुकदमों में पुलिस को ठीक से पैरवी करने और 100 दिनों के भीतर दोष सिद्ध कराने का टारगेट भी अधिकारियों को दिया है. साथ ही हर हफ्ते गृह विभाग की समीक्षा बैठक करने के आदेश भी जारी किए हैं. मुख्यमंत्री कानून व्यवस्था के नाम पर किसी भी तरह की ढिलाई और कोताही बरतने के मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं. काम में लापरवाही के चलते योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के डीजीपी मुकुल गोयल को उनके पद से हटा दिया जिससे पूरे पुलिस महकमे में हड़कंप मचा रहा.

टॉप-50 माफियाओं पर कार्रवाई
आपको बता दें कि प्रदेश सरकार पहले टॉप-25 माफियाओं की सूची बनाकर उनके खिलाफ ही कार्रवाई कर रही थी. मगर अब इस दायरे को बढ़ाकर टॉप-50 कर दिया है. गृह मंत्रालय ने सभी जिलों के कप्तानों और पुलिस कमिश्नरों को आदेश दिया है कि वन, खनन, शराब, पशु तस्करी और भूमाफियाओं के खिलाफ गैंगस्टर की धारा 14 (1) के तहत कार्रवाई करें और अवैध संपत्तियों को जब्त करें. आपको बता दें कि पिछले पांच सालों में पुलिस ने कुल 2081 करोड़ की अवैध संपत्ति जब्त की है, जिसमें बड़े-बड़े माफियाओं मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, सुंदर भाटी, अमित कसाना जैसों की संपत्तियां भी शामिल हैं. पिछले पांच सालों में पुलिस एनकांउटर में 159 अपराधी मारे जा चुके हैं और 3755 घायल हुए हैं.

पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने पुलिसिया कार्रवाई को सराहा
उत्तर प्रदेश के डीजीपी रह चुके विक्रम सिंह का कहना है कि गैंगस्टर एक्ट की धारा 14 (1) ब्रह्मास्त्र है जिसका असल प्रयोग योगी सरकार में अब हो रहा है. अपराधी की आर्थिक कमर तोड़कर अपराध को खत्म करना आसान होता है. इस सरकार में अपराधियों का राजनीतिक संरक्षण लगभग खत्म हो गया है जिससे उनमें भय साफ दिखाई पड़ रहा है. हालांकि इसी बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के ताजा आंकड़े बेहतर कानून व्यवस्था के नाम पर दोबारा सत्ता में वापसी करने वाले योगी आदित्यनाथ के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं. एनएचआरसी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रोजाना हिरासत में मरने वालों की संख्या 6 है.

क्या कहते हैं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़े
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने लोकसभा में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ताजा आंकड़ा पेश किया है जिसमें बताया गया है कि एक साल में पुलिस कस्टडी में कितनी मौतें हुई हैं. आयोग की रिपोर्ट ये कहती है कि साल 2021-2022 फरवरी के बीच न्यायिक हिरासत में 2,152 लोगों की मौत हुई जबकि 155 लोगों की मृत्यु पुलिस हिरासत में हुई. आयोग की रिपोर्ट के अनुसार हर रोज हिरासत में 6 लोगों की मौत होती है. न्यायिक हिरासत में मौत के मामले में यूपी सबसे आगे है, जहां 448 लोगों की मौत न्यायिक हिरासत के दौरान हुई है. राष्ट्रीय मानवाधिकार की रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र में पुलिस हिरासत में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. वहां 129 लोगों ने पुलिस लॉकअप में दम तोड़ दिया. आयोग की ही रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020-2021 में 1,840 तो 2019-2020 में 1,584 लोगों की न्यायिक हिरासत में मौत हुई थी. वहीं 2020-2021 में 100 लोगों की पुलिस कस्टडी में मौत हुई थी.

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