क्या MP में कमलनाथ बचा पाएंगे अपनी सरकार, कल होगा विश्वास मत

मध्य प्रदेश में चल रहे सियासी संग्राम में शनिवार को निर्णायक मोड़ आ गया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत प्रदेश भाजपा नेताओं के एक दल द्वारा राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने के सात घंटे बाद राज्यपाल ने कमलनाथ सरकार को सोमवार को विधानसभा में विश्वास मत हासिल करने का निर्देश दे दिया। मध्यरात्रि को जारी पत्र में राज्यपाल ने निर्देश दिया कि अभिभाषण के ठीक बाद सरकार बहुमत साबित करे।

विश्वास मत पर वोटिंग बटन दबाकर होगी, अन्य किसी तरीके से नहीं। वहीं जयपुर के रिजॉर्ट में ठहरे कांग्रेस विधायक भोपाल एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गए हैं। भोपाल एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई और धारा 144 लागू की गई। बता दें कि कांग्रेस विधायकों के शीघ्र ही जयपुर से यहां आने की उम्मीद है।

विश्वास मत की संपूर्ण प्रक्रिया की होगी वीडियोग्राफी

इसकी संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी कराई जाए। यह कार्यवाही हर हाल में 16 मार्च को प्रारंभ होगी और इस दौरान सदन की कार्यवाही स्थगित, विलंबित या निलंबित नहीं की जाएगी। राज्यपाल के इस फरमान के साथ जोड़-तोड़ की सियासत करने वालों को तगड़ा झटका लगा है। अनुच्छेद 174 व 175 के तहत आदेश मुख्यमंत्री कमलनाथ को भेजे पत्र में राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 174 व 175 (2) एवं अन्य संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए कमलनाथ सरकार को फ्लोर टेस्ट करवाने का आदेश दिया है। इससे पहले भाजपा नेताओं ने 16 मार्च से पहले विधानसभा का सत्र बुलाने और फ्लोर टेस्ट की मांग की थी।

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छह विधायकों के इस्तीफे मंजूर

इससे पहले शनिवार शाम विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कांग्रेस के सिंधिया समर्थक छह विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए।

दलीय स्थिति बदली, मात्र एक सीट का अंतर रह गया

छह के इस्तीफे मंजूर होने से विधानसभा की दलीय स्थिति में भी बड़ा बदलाव आ गया है। अब सदन में कांग्रेस और भाजपा के बीच मात्र एक सीट का अंतर बचा है। यदि बाकी 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर हो जाता है या वे सदन में उपस्थित नहीं हुए तो कांग्रेस सरकार बहुमत साबित नहीं कर पाएगी। दोनों ही हालात में कमलनाथ सरकार का गिरना तय माना जा रहा है।

तो लागू नहीं होगा व्हिप

विधि विशेषषज्ञों के मुताबिक कानूनी प्रावधान न होने के चलते कांग्रेस और स्पीकर 16 बागी विधायकों को विधानसभा में पेश होने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं। इससे पहले पिछले साल कर्नाटक में ऐसी स्थिति बनी थी तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस्तीफा दिए जाने के सात दिन के भीतर स्पीकर उनकी वैधता की जांच करें। अगर वे सही हों तो मंजूर करें, नहीं तो खारिज कर सकते हैं। ऐसे हालात में बागी विधायकों पर व्हिप लागू नहीं हो सकता है।

अल्पमत में है सरकार:  शिवराज

राज्यपाल से मिलने के बाद शिवराज ने कहा कि 22 विधायकों के इस्तीफे देने के बाद कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है। इसको लेकर राज्यपाल से मिलकर फ्लोर टेस्ट करने के लिए ज्ञापन दिया था।

विधायक दलों की बैठक आज

कांग्रेस ने रविवार शाम को विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें सत्र में विपक्ष द्वारा सरकार को घेरे जाने के खिलाफ रणनीति तैयार की जाएगी। इधर, विधायक दल के मुख्य सचेतक और संसदीय कार्य मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने पूरे सत्र के लिए व्हिप जारी किया है। इससे अब कांग्रेस विधायकों को सत्र के दौरान पूरे समय उपस्थित रहना अनिवार्य होगा। उधर, भाजपा विधायक दल की बैठक भी रविवार को हो सकती है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिल्ली गए हुए हैं। इधर, हरियाणा के मानेसर (तायडू) में मौजूद भाजपा विधायकों को भी रविवार या सोमवार सुबह भोपाल लाया जा सकता है।

कांग्रेस विधायक जयपुर से भोपाल के लिए रवाना

सिंधिया की बगावत के बाद कांग्रेस विधायक दल में मची भगदड़ की स्थिति से बचने के लिए पार्टी ने सरकार का समर्थन कर रहे विधायकों को जयपुर में सुरक्षित स्थान पर भेज दिया था। तब से वे वहीं थे, लेकिन अब 16 मार्च से विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने जा रहा है तो उन्हें कार्यवाही में मौजूद रखने के लिए वापस बुलाया जा रहा है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के विधायक जो जयपुर के एक रिजॉर्ट में ठहरे थे, भोपाल एयरपोर्ट के लिए रवाना हुए। बता दें कि मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने निर्देश दिया है कि कल विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराया जाए।

इसके लिए कांग्रेस ने दो चार्टर विमान की व्यवस्था की है, जो रविवार सुबह 10 बजे जयपुर से उ़़डान भरेंगे और सुबह 11 बजे भोपाल के राजाभोज विमानतल पर पहुंच जाएंगे। वहां अभी 82 विधायक हैं, जबकि तरण भनोत, प्रियव्रत सिंह और कुणाल चौधरी समेत कुछ विधायक अपने साधनों से जयपुर से लौट आए थे।

बागियों के इस्तीफे मंजूर होते ही अल्पमत में आएगी सरकार

जिन 16 विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं उन पर स्पीकर को फैसला लेना बाकी है। अगर इस्तीफे स्वीकार हो जाते हैं तो 16 और विधायकों की सदस्यता चली जाएगी और कांग्रेस सरकार में शामिल सदस्यों की संख्या 121 से 99 हो जाएगी। इससे विधानसभा की संख्या 206 और बहुमत का आंकड़ा 104 पर आ जाएगा। छह इस्तीफे मंजूर होने के बाद अब उन्हें रिक्त घोषित करने की कार्रवाई की जाएगी।

सुरक्षा चाकचौबंद

उधर, विधानसभा के बजट सत्र को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष के निवास एवं विधानसभा परिसर के चारों तरफ सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

स्पीकर ने मात्र छह इस्तीफे ही स्वीकार क्यों किए?

 नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा कि जब 22 विधायकों ने इस्तीफे दिए थे तो फिर स्पीकर ने मात्र छह इस्तीफे ही स्वीकार क्यों किए।

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