केवल शिव का पूजन ही लिंग रूप में क्यों?

हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजन की प्रथा काफी प्राचीन समय से चली आ रही है। सभी देवताओं को मूर्ति रूप में पूजा जाता है।

लेकिन शिव ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो लिंग यानी निराकार रूप में पूजे जाते हैं क्योंकि भगवान शिव ब्रह्मरूप होने के कारण निष्कल अर्थात निराकार कहे गए। रूपवान होने के कारण सकल कहलाए। ऐसी मान्यता है कि सृष्टी की उत्पति का दिन ही शिवरात्रि है।

इसीलिए उन्हें प्रथम पुरुष भी कहा जाता है। शिव ही वे देवता हैं जिन्होंने कभी कोई अवतार नहीं लिया। शिव कालों के काल है यानी साक्षात महाकाल हैं। वे जीवन और मृत्यु के चक्र से परे हैं इसीलिए समस्त देवताओं में एकमात्र वे परब्रम्ह है इसलिए केवल वे ही निराकार लिंग के रूप में पूजे जाते हैं।

इस रूप में समस्त ब्रम्हाण्ड का पूजन हो जाता है क्योंकि वे ही समस्त जगत के मूल कारण है। शिव का पूजन लिगं रूप में ही ज्यादा फलदायक माना गया है। शिव का मूर्तिपूजन भी श्रेष्ठ है किंतु लिंग पूजन सर्वश्रेष्ठ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button