हर शुभ काम से पहले क्यों होती है भगवान गणेश की पूजा!

भगवान श्री गणेश जी को प्रकृति की शक्तियों का विराट रूप माना जाता है ।हर शुभ काम को करने से पहले गणेश जी को ही याद किया जाता है। जैसे किसी घर में विवाह रूपी मंगलमय कार्य होता है, तो उसका सबसे पहले निमंत्रण पत्र गणेश जी को दिया जाता है। घर में कोई नया वाहन लेकर आता है तो सबसे पहले गणेश जी को प्रसाद चढ़ाकर उस वाहन की पूजा की जाती है। कोई नया घर भी लेता है ,तो भी उसमें सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति को ही स्थापित किया जाता है। लगभग सभी के घरों में प्रवेश द्वार पर ही गणेश जी का मंदिर बनाया जाता है। कोई अपने व्यापार का शुभारंभ भी करता है तो सबसे पहले गणेश जी को ही पहली कमाई चढ़ाता है।

1.लगभग सभी के घरों में प्रवेश द्वार पर ही गणेश जी का मंदिर बनाया जाता है।

2.किसी पूजा, आराधना, अनुष्ठान व कार्य में कोई विघ्न-बाधा न आए, इसलिए सर्वप्रथम गणेश-पूजा करके उसकी कृपा प्राप्त की जाती है. इसके पीछे पौराणिक कथा भी है।

भगवान श्री गणेश जी को प्रकृति की शक्तियों का विराट रूप माना जाता है ।हर शुभ काम को करने से पहले गणेश जी को ही याद किया जाता है। जैसे किसी घर में विवाह रूपी मंगलमय कार्य होता है ,तो उसका सबसे पहले निमंत्रण पत्र गणेश जी को दिया जाता है । घर में कोई नया वाहन लेकर आता है तो सबसे पहले गणेश जी को प्रसाद चढ़ाकर उस वाहन की पूजा की जाती है। कोई नया घर भी लेता है ,तो भी उसमें सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति को ही स्थापित किया जाता है। लगभग सभी के घरों में प्रवेश द्वार पर ही गणेश जी का मंदिर बनाया जाता है ।

कोई अपने व्यापार का शुभारंभ भी करता है तो सबसे पहले गणेश जी को ही पहली कमाई चढ़ाता है। कोई भी मंदिर हो, सभी मंदिरों में सबसे पहले गणेश जी को ही पूजा जाता है। गणेश जी की प्रतिमा हर मंदिर व हर घर में विराजमान होती है। कुछ लोग शुभारंभ करते समय सर्वप्रथम श्रीगणेशाय नम: लिखते हैं। लेकिन उसके बाद सभी के दिमाग में यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है ,तो उसका जवाब भी बड़ा अनोखा है। किसी पूजा, आराधना, अनुष्ठान व कार्य में कोई विघ्न-बाधा न आए, इसलिए सर्वप्रथम गणेश-पूजा करके उसकी कृपा प्राप्त की जाती है। इसके पीछे पौराणिक कथा भी है।

एक बार समस्त देवताओं में इस बात पर विवाद उत्पन्न हुआ कि धरती पर किस देवता की पूजा समस्त देवगणों से पहले हो। सभी देवता स्वयं को ही सर्वश्रेष्ठ बताने लगे।तब नारद जी ने इस स्थिति को देखते हुए सभी देवगणों को भगवान शिव की शरण में जाने व उनसे इस प्रश्न का उत्तर बताने की सलाह दी।

जब सभी देवता भगवान शिव के समीप पहुंचे तो उनके मध्य इस झगड़े को देखते हुए भगवान शिव ने इसे सुलझाने की एक अनोखी योजना सोची। उन्होंने एक प्रतियोगिता आयोजित की। सभी देवगणों को कहा गया कि वे सभी अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर आएं। इस प्रतियोगिता में जो भी सर्वप्रथम ब्रह्माण्ड की परिक्रमा कर उनके पास पहुंचेगा, वही सर्वप्रथम पूजनीय माना जाएगा। सभी देवता अपने-अपने वाहनों को लेकर परिक्रमा के लिए निकल पड़े।गणेश जी भी इसी प्रतियोगिता का हिस्सा थे। लेकिन, गणेश जी बाकी देवताओं की तरह ब्रह्माण्ड के चक्कर लगाने की जगह अपने माता-पिता शिव-पार्वती की सात परिक्रमा पूर्ण कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए।

जब समस्त देवता अपनी अपनी परिक्रमा करके लौटे तब भगवान शिव ने श्री गणेश को प्रतियोगिता का विजयी घोषित कर दिया। सभी देवता यह निर्णय सुनकर अचंभित हो गए और शिव भगवान से इसका कारण पूछने लगे। तब शिवजी ने उन्हें बताया कि माता-पिता को समस्त ब्रह्माण्ड एवं समस्त लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है, जो देवताओं व समस्त सृष्टि से भी उच्च माने गए हैं। तब सभी देवता, भगवान शिव के इस निर्णय से सहमत हुए। तभी से गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य माना जाने लगा।

यही कारण है कि भगवान गणेश अपने तेज़ बुद्धिबल के प्रयोग के कारण देवताओं में सर्वप्रथम पूजे जाने लगे। तब से आज तक प्रत्येक शुभ कार्य या उत्सव से पूर्व गणेश वन्दन को शुभ माना गया है। गणेश जी का पूजन सभी दुःखों को दूर करने वाला एवं खुशहाली लाने वाला है। अतः सभी भक्तों को पूरी श्रद्धा व आस्था से गणेश जी का पूजन हर शुभ कार्य से पूर्व करना चाहिए। तो इस कारण हर शुभ कार्य का श्री गणेश विघ्ननाशक गणेश जी के पूजन से ही होता है।

 

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