बिहार में किसकी बनेगी सरकार, जानें किसके पास आएगी सत्ता की चाबी…

बिहार विधानसभा चुनाव के लिए 10 नवंबर को वोटों की गिनती से तीन दिन पहले ही यानी 7 नवंबर की शाम को ही देश को संभावित विजेताओं और पराजितों के बारे में एक मोटी तस्वीर जानने को मिल जाएगी. ये चुनाव कई मायने में बहुत अहम है. कोरोना काल में ये पहले अहम चुनाव के साथ कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

नतीजों की मोटी तस्वीर या खाका इसलिए कह रहे हैं क्योंकि जब यह जानना होता है कि किस ने किस उम्मीदवार और पार्टी को वोट दिया और किसको खारिज कर दिया,

बिहार में 7 नवंबर को तीसरे और अंतिम दौर का मतदान खत्म होने के तुरंत बाद फिर सबको इंडिया टुडे-एक्सिस-माय-इंडिया एग्जिट पोल का इंतजार है. राज्य चुनाव के सबसे सटीक एग्जिट पोल शनिवार की शाम को पर देखने के लिए तैयार रहिए. 

सटीक ट्रैक रिकॉर्ड 

पिछला रिकॉर्ड अपने आप में ही सब कुछ कहता है. इसकी बानगी देखिए. 2013 से 2020 के बीच भारत में आज तक हुए सभी चुनावों में इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के चुनाव उपरांत सर्वेक्षणों ने 95 प्रतिशत मामलों में नतीजों को लेकर सबसे निश्चित और सटीक अनुमान लगाए. 

 मतदान सर्वेक्षकों ने 35 चुनावों की भविष्यवाणी की है, जिनमें से 33 सही साबित हुईं. 

दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र, भारत, के 2019 आम चुनावों के लिए बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए के लिए 339-365 सीटों और यूपीए के लिए 77-108 सीटों की भविष्यवाणी की गई. लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो एनडीए को 352 और यूपीए को 92 सीटें मिलीं.  

.प्रदीप गुप्ता अपने कामयाब अनुमानों के लिए टीमवर्क और मतदाताओं के व्यवहार की साइंटिफिक मॉनिटरिंग को श्रेय देते हैं. हालांकि वो चूक की संभावना होने से भी इनकार नहीं करते. वे कहते हैं, “यह बहुत दिलचस्प लगता है कि बिहार में साढ़े चार गठबंधन और 26 राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियां चुनावी दौड़ में शामिल हैं, ऐसे राज्य में जहां जातियों का गणित अहम भूमिका निभाता है.” 

प्रदीप गुप्ता कहते हैं, “एक्सिस-माय-इंडिया ने अतीत में सटीक चुनाव परिणामों का अनुमान लगा कर ऊंची साख कायम की है, लेकिन औसत का कानून यह सुझाव देता है कि सबसे बेहतर कोशिशों के बावजूद, कोई भी हर वक्त ठीक ठीक अनुमान लगाते नहीं रह सकता.” 

महामारी के बीच चुनाव 

इसमें कोई शक नहीं है, बिहार में चुनावी कवायद भारी और पेचीदा है. कोरोनावायरस महामारी के कारण ये जोखिम से भी परे नही है. 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए लगभग 7.30 करोड़ पात्र मतदाता हैं, जिनमें से 78 लाख पहली बार अपने वोटिंग अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं.  

अहम स्टेकहोल्डर्स में से एक तरफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए ) का सत्तारूढ़ गठबंधन है, जिसमें चुनवी मैदान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनता दल-यूनाइटेड ने 115 सीटों, भारतीय जनता पार्टी ने 110, विकासशील इनसान पार्टी ने 11 और जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने 7 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. 

दूसरी तरफ विपक्ष के महागठबंधन में मुख्य रूप से लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल (इस चुनाव में उनके बेटे तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री के चेहरे हैं) ने 144 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. महागठबंधन के अन्य सहयोगियों में कांग्रेस 70, सीपीआई-एमएल 19, सीपीआई 6 और सीपीआईएम 4 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.   

केंद्र में एनडीए की हिस्सा लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) इस विधानसभा चुनाव में अकेले बूते ही ताल ठोक रही है. दिवंगत केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की स्थापित की गई इस पार्टी की कमान अब उनके बेटे चिराग पासवान के हाथ में है. राज्य में जेडीयू के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए एलजेपी ने अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया. 

बिहार में 2015 में पिछले विधानसभा चुनाव में महागठबंधन (जिसमें जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस साझा मंच पर थे) ने 178 सीटों के साथ बहुमत हासिल किया था. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को 58 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. महागठबंधन की ओर से नीतीश कुमार सीएम बने. 

Back to top button