जब पूरी दुनिया थी भारत के खिलाफ, तब वाजपेयी जी ने किया ये कमाल

मार्च 1998 में अटल बिहारी देश के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. केन्द्र की सत्ता पर काबिज होने के महज दो महीने के अंदर अटल बिहारी ने भारत को न्यूक्लियर पावर घोषित करते हुए पोखरण में 5 न्यूक्लियर टेस्ट को हरी झंडी दी.

इस फैसले ने देश को एक ऐसे मोड़ पर खड़ा कर दिया जहां पूरी दुनिया भारत के खिलाफ हो गई. वैश्विक स्तर पर आर्थिक प्रतिबंधों के साथ-साथ एक झटके में भारत का अमेरिका, चीन, पाकिस्तान समेत कई अन्य मित्र देशों से रिश्तों के आगे फुल स्टॉप लग गया.

वहीं, देश की पहली बीजेपी सरकार को पूर्व की कांग्रेस सरकार (1991 से 1996)  से विरासत में आर्थिक उदारीकरण का फैसला मिला था. इस फैसले के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का नया रास्ता तय किया जाना था. खास बात है कि कांग्रेस की इस सरकार और 1998 में बनी अटल बिहारी की सरकार के बीच तीन और प्रधानमंत्री बन चुके थे. इसमें खुद 16 दिन की अटल बिहारी की सरकार थी और लगभग तीन-तीन सौ दिन तक एचडी देवेगौड़ा और इंद्रकुमार गुजराल की सरकार केन्द्र पर काबिज थी. जाहिर है, आर्थिक उथल-पुथल के साथ-साथ देश में राजनीतिक अस्थिरता की भी माहौल था.

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वहीं भारत की आर्थिक स्थिति का जायजा 1998-99 के आर्थिक सर्वेक्षण में विस्तार से बताए गए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक माहौल से लगाया जा सकता है. आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक इस दौरान पूर्वी एशिया के देशों की जीडीपी में तेज गिरावट दर्ज हो रही थी. इंडोनेशिया की जीडीपी 15 फीसदी और दक्षिण कोरिया और थाइलैंड की जीडीपी में 5 से 7 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी. इसके अलावा दुनिया की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में जापान मंदी के दौर से गुजर रहा था और 1991 में यूएसएसआर के विघटन के बाद से ही लगातार रूस की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक थी. दुनियाभर में ऐसी आर्थिक स्थिति के चलते 1998 में ग्लोबल जीडीपी में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी.

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