कुदरत को क्या है मंजूर, मिसाइल की रफ्तार से धरती की तरफ बढ़ रहा यह बड़ा उल्कापिंड
नई दिल्ली। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि दुनिया को कई 2020 साल सदियों तक याद रहेगा। इसका नाम इतिहास के पन्नों में लिखा जायेगा, कर बनकर आया यह साल जिसने दुनिया को पूरी तरह से तबाह कर दिया है। क्लाइमेंट चेंज, कोरोना वायरस महामारी जैसी तमाम चीजों से आज पूरी दुनिया जूझ रही है। इस वर्ष में लोगों के बीच से खुशियां छिन चुकी हैं।
इतना सब होने के बाद भी अभी प्रकृति को क्या मंजूर है यह कोई नहीं जनता है। इस साल के अंत होने से कुछ समय पहले ही एक उल्कापिंड जो पृथ्वी की तरफ काफी तेजी के साथ अगे बढ़ रहा है। जिसने लोगों को और हैरान करके रख दिया है। यह कोई छोटा—मोआ उल्कापिंड नहीं है बल्कि इसका साइज काफी बड़ा हैं तकरीबन यह उल्कापिंड एक व्हेल मछली के बाराबर है।
नासा ने दाव किया है कि 153201 2000 WO107 नाम का ये उल्कापिंड नवंबर 29 यानि रविवार को धरती के पास से गुजरेगा। ये उल्कापिंड 90 हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अंतरिक्ष में भ्रमण कर रहा है। इस उल्कापिंड का साइज 820 मीटर के आसपास बताया जा रहा है।
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इस उल्कापिंड की गति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी बंदूक से निकली गोली साढे़ चार हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करती है। पृथ्वी और चंद्रमा के बीच औसत दूरी 3 लाख 85 हजार किलोमीटर की है लेकिन नासा इस दूरी के लगभग 20 गुना रेंज में आने वाली सभी चीजों को मॉनीटर करने को लेकर प्राथमिकता देता है।
इस उल्कापिंड के साइज और इसकी गति को देखते हुए चिंता करना लाजमी है और अगर ये पृथ्वी पर गिरता है तो इससे काफी नुकसान होने की संभावना है। हालांकि नासा का साफ कहना है कि इस उल्कापिंड के धरती से टकराने की संभावना नहीं है। नासा ने इस उल्कापिंड को नियर अर्थ ऑब्जेक्ट(एनईओ) की कैटेगिरी में डाला है।
नासा के हिसाब से, 4.6 बिलियन साल पहले निर्माण हुए हमारे सोलर सिस्टम के चट्टानी, वायुहीन अवशेषों को उल्कापिंड कहा जाता है। नासा अब तक दस लाख से ज्यादा उल्कापिंडों के बारे में पता लगा चुका है। साल 2020 में कई छोटे बड़े उल्कापिंड धरती के करीब से गुजरे हैं।