58 साल बाद इस बार नवरात्रि पर बन रहा हैं विशेष संयोग, इन राशियों के लिए है शुभ संकेत…

इस बार शारदीय नवरात्रि अधिकमास के कारण एक महीने की देरी से आरंभ होंगे। अधिकमास 16 अक्तूबर को खत्म हो रहा है फिर इसके अगले दिन यानी 17 अक्तूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएंगे। हर वर्ष आश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना आरंभ हो जाती है। नवरात्रि पर देवी मां के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा कर उन्हें प्रसन्न और मनोकामनाएं मांगी जाती है। इस बार नवरात्रि पर 58 साल के बाद बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है।

ज्योतिषशास्त्र की गणना के अनुसार 58 वर्षों के बाद शनि और गुरु ग्रह दोनों ही स्वयं की राशि में मौजूद रहेंगे। शनि अपनी राशि मकर में और गुर अपनी राशि धनु में हैं। इस शुभ संयोग पर कलश स्थापना के साथ नवरात्रि बहुत ही शुभ माना गया है। इसके अलावा नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर चित्रा नक्षत्र रहेगा। 

वहीं इस शारदीय नवरात्रि पर चार सर्वार्थसिद्धि, एक त्रिपुष्कर और चार रवियोग बनेंगे। इसके अलावा सौभाग्य, धृति और आनंद योग भी रहेंगे। ऐसे में नई चीजों की खरीद-बिक्री और मकान या जमीन में निवेश के लिए समय बहुत ही शुभ रहेगा।नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के बाद माता के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना होती है। इस दिन माता को भोग लगाकर और दुर्गासप्तशी का पाठ किया जाता है और अंत में माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

इस शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना का शुभ मुहूर्त 17 अक्तूबर को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर है। इसके अलावा सुबह 11 बजकर 02 मिनट से लेकर 11 बजकर 49 मिनट पर घटस्थापना किया जा सकता है। इस शारदीय नवरात्रि पर बने शुभ संयोग के कारण कुछ राशियों के लिए काफी शुभफलदायक रहेगा। जिनमें मकर, सिंह, वृश्चिक, धनु, वृषक और मीन राशि के जातकों के लिए नवरात्रि शुभ रहेगी।
 

नवरात्रि के नौ दिन और शुभ योग
17 अक्टूबर, शनिवार – सर्वार्थसिद्धि योग,  18 अक्टूबर, रविवार – त्रिपुष्कर और सर्वार्थसिद्धि योग, 19 अक्टूबर, सोमवार – सर्वार्थसिद्धि योग, रवियोग ,20 अक्टूबर, मंगलवार – सौभाग्य और शोभन योग , 21 अक्टूबर, बुधवार – रवियोग ,22 अक्टूबर, गुरुवार – सुकर्मा और प्रजापति योग, 23 अक्टूबर, शुक्रवार – धृति और आनंद योग , 24 अक्टूबर, शनिवार – सर्वार्थसिद्धि योग , 25 अक्टूबर, रविवार – रवियोग , 26 अक्टूबर, सोमवार – रवियोग
 

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