सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र का माला और फूल से नहीं शिकायतों से हुआ स्वागत

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में एक हफ्ते से भी कम दिन बचा है। चुनावी मैदान में उतरे उम्मीदवार अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र में पहुंच रहे हैं और उन्हें मतदाताओं के कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के बेटे वरुणा विधानसभा क्षेत्र के रंगासमुद्र गांव चुनाव प्रचार के लिए और उनका स्वागत माला या फूलों से नहीं बल्कि शिकायतों से हुआ। 

 

सिद्धारमैया के बेटे यतींद्र का माला और फूल से नहीं शिकायतों से हुआ स्वागतजैसे ही यतीन्द्र प्रचार के लिए गांव पहुंचे एक महिला सामने आई और उसने शिकायतों की झड़ी लगा दी। यतींद्र चुंकि पेशे से डॉक्टर हैं उन्होंने भी बहुत ही सधी आवाज में मुस्कुराते हुए हर काम किए जाने का आश्वासन दिया। महिला ने मुख्यमंत्री के बेटे से कहा कि मैं हमेशा से वोट आपके पिता को देती रही हूं लेकिन आप मुझे ये बताइए कि हमारे लिए आज तक कुछ क्यों नहीं किया गया।

मैंने लोन लिया लेकिन मुझे आज तक मिला नहीं जबकि गांव में कई लोगों को मिला। बता दें कि यतींद्र 37 साल के हैं और वह अपने बड़े भाई राकेश की 2016 में हुई मृत्यु के बाद इस चुनावी क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। पिछले पचास सालों से चल रही सिद्धारमैया की विरासत अब यतींद्र के कंधों पर आ चुकी है। अपने पिता की विरासत को यतींद्र बखूबी निभाने की कोशिश कर रहे हैं। कांग्रेस अपने नए उम्मीदवार को इस क्षेत्र से लड़ाने का फैसला इसलिए लिया क्योंकि सिद्धारमैा खुद इस क्षेत्र से कभी नहीं हारे हैं। 

कर्नाटक चुनाव में वरुणा सीट एक समय में बहुत ही महत्वपूर्ण सीट थी

बता दें कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में वरुणा सीट एक समय में बहुत ही महत्वपूर्ण सीट हो गई थी जब मौजूदा और पूर्व दोनों ही मुख्यमंत्री के बेटे इस सीट पर आमने सामने होने थे लेकिन आखिरी समय में पता चला कि येदियुरप्पा के बेटे बी वाई विजयेंद्र को टिकट नहीं दिया गया। 

वहीं यतींद्र का टिकट काफ समय से पक्का माना जा रहा था। चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे यतींद्र को देख कर लोगों ने कहा कि वह अपने पिता की तरह दिखता है। उनकी तुलना पिता सिद्धारमैया से की जा रही है। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने काफी कुछ सीखा है। यही नहीं अब वह काफी अच्छा भाषण देना भी सीख गए हैं। सिद्धारमैया के सपोर्टर बासावाराजू ने कहा कि यतींद्र अपने व्यवहार और जानकारियों के बल पर पूरे क्षेत्र पर राज करेंगे। यतींद्र को लोग राकेश बुलाते हैं।

अपने नाम के बारे में यतींद्र ने मीडिया को बताया कि बड़े भाई का नाम राकेश था और लोग आज मुझे उसी के नाम से बुलाते हैं। सिर्फ वरुणा में ही नहीं बल्कि कई गांवों में लोग मुझे राकेश बुलाते हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में 12 से अधिक साल काम किया है।उसका लोगों से गहरा जुड़ाव था। मैं जानता हूं कि मैं उसकी तरह कभी नहीं हो सकता हूं हम दो अलग अलग व्यक्तित्व हैं। लेकिन मैं अपना काम कर रहा हूं। 
कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा के लिए 12 मई को मतदान होगा और मतों की गणना 15 मई को होगी।
 

 
 
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