यूपी पुलिस का नया कारनामा, 2 दिन की बच्ची घर से बिना बताए चली गई

आगरा। यूपी पुलिस के कारनामों से वैसे तो आप सभी परिचित हैं, लेकिन यहां तो हद हो गई कि इस तरह की गैरसुधी बातों को कैसे समझा जाए, जैसा कि 2 दिन की बच्ची बीते 5 साल से लापता है। यूपी पुलिस अभी तक बच्ची की तलाश नहीं कर पाई है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, 2 दिन की यह बच्ची घर से बिना बताए चली गई, पुलिस ने पुलिस ने भी गुमशुदगी की धारा में मुकदमा (FIR) दर्ज कर लिया है।
बेशक यह खबर पढ़कर आपको हैरानी हो, लेकिन यह हकीकत है। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, 2 दिन की यह बच्ची खुद चलकर घर से कहीं चली गई है। सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाली बात यह है कि बच्ची बिना कुछ बताए चली गई, मतलब यूपी पुलिस की नजर में 2 दिन की बच्ची बोल भी सकती थी।
साल 2010 से 31 जुलाई 2020 तक आगरा पुलिस का डाटा बताता है कि 41 नाबालिग लड़के-लड़कियां ऐसे हैं जो 10 साल से लापता हैं। इनमें एक-दो बालिग भी हैं। इन आंकड़ों को गौर से देखा जाए तो पता चलता है कि 41 में से 37 केस ऐसे हैं, जिनमें गुम होने वाले बच्चे बिना बताए घर से चले गए हैं। चार केस में पुलिस ने अलग-अलग कारण बताए हैं। पुलिस ने 2 दिन की बच्ची के गुम होने के पीछे की वजह भी घर से बिना बताए चले जाना बताया है।
2 दिन की बच्ची के घर से बिना बताए चले जाने की इस अजीब घटना के बारे में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। सूत्रों से पता चला कि 2 दिन की यह बच्ची ज़िला महिला अस्पताल से गायब हो गई थी। इसकी सूचना इलाके के पुलिस स्टेशन एमएम गेट को दी गई थी।
मामला भी इसी थाने में दर्ज हुआ है। हालांकि, पीड़ित परिवार पुलिस स्टेशन शाहगंज इलाके का रहने वाला है। ऐसे में एक सवाल और भी उठता है कि जब 2 दिन की बच्ची बिना बताए घर से गई है तो मामला शाहगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज होना चाहिए था, फिर यह कई किलोमीटर दूर एमएम गेट पुलिस स्टेशन में क्यों दर्ज हुआ?
चाइल्ड राइट एक्टिविस्ट एवं ‘महफूज सुरक्षित बचपनन’ के को-ऑर्डिनेटर नरेश पारस का इस बारे में कहना है कि छोटे बच्चों के गुम होने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि 24 घंटे के अंदर अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होनी चाहिए। ऐसे मामलों में बच्चों के गुम होने के पीछे के असली कारण लिखे जाने चाहिए, जिससे जब ऐसे मामलों पर कोई शोध हो तो असली कारणों को ध्यान में रखते हुए उनकी रोकथाम के उपाय किए जा सकें।