उमा भारती के सख्त तेवर के आगे झुके अमित शाह! संघ ने भी…!

मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और उत्तर प्रदेश के झांसी से सांसद उमा भारती को केंद्रीय मंत्रिमंडल से बाहर करने का मन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपाध्यक्ष अमित शाह बना चुके थे, मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के दखल के कारण ऐसा नहीं हो पाया। हां, उमा का कद जरूर छोटा कर दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि एक से तीन सितंबर के बीच मथुरा में आरएसएस की तीन दिवसीय समन्वय बैठक आयोजित की गई थी।

अभी अभी: प्रमोशन तो हुआ! मगर अभी रक्षामंत्री नहीं बन पाएगी ये दिग्गज महिला!

इस बैठक में पार्टी की ओर से अध्यक्ष अमित शाह सहित अन्य नेताओं ने भी हिस्सा लिया था। इस दौरान भाजपाध्यक्ष शाह ने संघ के पदाधिकारियों को चर्चा के दौरान मोदी मंत्रिमंडल के संभावित विस्तार से अवगत कराया, साथ ही उमा भारती सहित अन्य कई मंत्रियों के खराब परफॉर्मेस का जिक्र कर हटाने की योजना का जिक्र भी किया।संघ के सूत्रों का कहना है कि संघ के पदाधिकारियों ने शाह को हिदायत दी कि उमा भारती को मंत्रिमंडल से बाहर न किया जाए, इससे गलत संदेश जाएगा।

अभी अभी: ब्रिक्स सम्मेलन: रूस बोला-डोकलाम पर चीन की नहीं सुनेंगे, वहां भारत जीत…!

uma bharti

उमा की पहचान कट्टर हिंदूवादी और राममंदिर आंदोलन की नेतृत्वकर्ता के तौर पर है। इतना ही नहीं, मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बाद उन्हें दूसरी जिम्मेदारी देनी पड़ती, क्योंकि उन्हें बिना जिम्मेदारी के रखना पार्टी के लिए अहितकारी हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, उमा से इस्तीफा उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर करने के लिए लिया गया था। उसके बाद उमा के तेवरों को देखकर संघ की बात भाजपा के प्रमुखों को याद आई और उन्होंने उमा भारती को भरोसा दिलाया कि उन्हें मंत्री बनाए रखा जाएगा। यही कारण है कि उनका कद तो कम कर दिया गया, मगर उन्हें मंत्री बनाए रखना भाजपा की मजबूरी बन गई। उमा ने अपना गुस्सा शपथ ग्रहण समारोह में न पहुंचकर जाहिर किया।

उमा को करीब से जानने वाले कहते हैं कि भारती जब नाराज हो जाती हैं तो उन्हें मनाना और शांत करना आसान नहीं होता। इसके कई उदाहरण भी हैं। लालकृष्ण आडवाणी के पार्टी अध्यक्ष रहते बैठक छोड़कर चले जाना और फिर हिमालय की ओर रुख करना, अलग पार्टी बना लेना, किसी से छुपा नहीं है। इतना ही नहीं, उमा भारती का लोधी वोटबैंक पर प्रभाव है। भाजपा से जब कल्याण सिंह बाहर चले गए थे, तब उत्तर प्रदेश में पार्टी को लोधी वोट का खासा नुकसान हुआ था। लिहाजा, पार्टी अभी कोई ऐसा मोर्चा नहीं खोलना चाहती, जिसके चलते उसे अपनों को ही सवालों के जवाब देने पड़ जाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button