उज्जैन : मस्तक पर त्रिपुंड का तिलक, खुला बाबा महाकाल का तीसरा नेत्र

महाकाल मंदिर में आज के श्रृंगार की विशेष बात यह रही कि आज बाबा महाकाल का भांग से विशेष श्रंगार सूर्य के स्वरूप में त्रिपुंड तिलक लगाकर किया गया था। वहीं श्रंगार में बाबा महाकाल की तीसरा नेत्र भी बनाया गया था।

जिसके बाद बाबा महाकाल को श्री राम की पगड़ी पहनाई गई और मिष्ठानों का विशेष भोग भी लगाया गया। बाद में बाबा महाकाल के ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई। भस्म आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे, जिन्होंने बाबा महाकाल के इस दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। महानिर्वाणी अखाड़े की और से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गयी। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य दर्शनों का लाभ लिया। जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।

आंतरिक क्षेत्र का निरीक्षण किया गया
श्री महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि महापर्व की व्यवस्था के संबंध में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर के बाहरी एवं आंतरिक क्षेत्र का निरीक्षण किया गया तथा दर्शन मार्ग का दौरा किया व संबंधितों को विशेष दिशा-निर्देश प्रदान किये।

प्रतिदिन हो रहा है मंदिर प्रांगण में नारदीय कीर्तन
देवर्षि नारदजी खड़े होकर करतल ध्वनि व वीणा के साथ हरि नाम कीर्तन करते हैं। इसलिए कीर्तन की इस पद्धति को नारदीय कीर्तन कहा जाता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर में यह परंपरा विगत 115 वर्षों से भी अधिक समय से चलती आ रही है। श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रागंण में शिवनवरात्रि निमित्त सन् 1909 से कानडकर परिवार, इन्दौर द्वारा वंशपरम्परानुगत हरिकीर्तन की सेवा दी जा रही है। इसी तारतम्य में श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा कथारत्न हरि भक्त परायण पं. रमेश कानडकर जी के शिव कथा व हरि कीर्तन का आयोजन सायं 4:30 से 6 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर चल रहा है। तबले पर संगत असीम कानडकर ने की।

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