एफ़बीआई के खिलाफ जांच की मांग करेंगे ट्रंप, जानें क्या है कारण
अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह इस बात की जांच की मांग करेंगे कि कहीं राजनीतिक कारणों से उनके चुनाव प्रचार अभियान की जासूसी तो नहीं की गई थी.
एक ट्वीट में ट्रंप ने कहा कि वह जानना चाहते हैं कि कहीं इस कद़म के पीछे पिछले राष्ट्रपति के प्रशासन का आदेश तो नहीं था. सोमवार को इस संबंध में आधिकारिक शिकायत की जाएगी. अमरीकी मीडिया की रिपोर्ट्स इस बात के संकेत दे रही हैं कि एफ़बीआई का एक मुख़बिर ट्रंप के प्रचार अभियान के सहयोगियों के संपर्क में था. इस प्रचार अभियान से जुड़े सभी पहलुओं की पहले से ही जांच चल रही है.
I hereby demand, and will do so officially tomorrow, that the Department of Justice look into whether or not the FBI/DOJ infiltrated or surveilled the Trump Campaign for Political Purposes – and if any such demands or requests were made by people within the Obama Administration!
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) May 20, 2018
ट्रंप के आरोप
ट्रंप ने रविवार को कई ट्वीट किए और आरोप लगाया कि उन्हें बेवजह निशाना बनाया जा रहा है और अब तक रूस के साथ किसी भी तरह की सांठगांठ नहीं मिली है. उनका इशारा स्पेशल काउंसल रॉबर्ट मूलर के नेतृत्व में की जा रही जांच की तरफ़ था. इस जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि रूस ने 2016 के चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश की थी या नहीं.
रूस और ट्रंप के प्रचार अभियान के बीच कथित सांठगांठ की भी जांच की जा रही है. यह भी देखा जा रहा है कि राष्ट्रपति ने जांच को ग़ैरकानूनी ढंग से रोकने की कोशिश तो नहीं की थी. डोनल्ड ट्रंप इस जांच पर सवाल उठाते रहे हैं. ट्रंप ने सबसे पहले शुक्रवार को आरोप लगाया था कि एफ़बीआई ने उनकी प्रचार टीम में एक मुख़बिर भेजा था. ट्रंप ने ट्वीट किया है, “रूस को लेकर अफ़वाह है कि चर्चित फ़ेक न्यूज़ बनने से काफ़ी पहले यह हुआ था. अगर इसमें सच्चाई है तो यह अब तक का सबसे बड़ा स्कैंडल है.”
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न्यू यॉर्क टाइम्स ने आर्टिकल में लिखा है कि एफ़बीआई का एक गुप्तचर ट्रंप के प्रचार अभियान के सहयोगियों से बात करने के लिए भेजा गया था. यह क़दम तभी उठाया गया था जब एफ़बीआई को ‘रूस के साथ संदिग्ध संपर्क’ की रिपोर्ट्स मिली थीं. ब्रिटेन में काम कर रहे अमरीकी अकैडमिक ने बतौर गुप्तचर ने जॉर्ज पापाडोपलस और कार्टर पेज से संपर्क किया था. इस गुप्तचर की पहचान उजागर नहीं की गई है. वॉशिगटन पोस्ट ने भी ऐसी ही घटना का ज़िक्र किया है.
अब क्या हो सकता है?
लॉ एनफ़ोर्समेंट के अधिकारियों ने इस मुद्दे पर कांग्रेस के नेताओं को सबूत देने से इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि ऐसा करने से मुख़बिर की जान को खतरा हो सकता है या फिर जिनसे उसने संपर्क किया था, वे खतरे में पड़ सकते हैं. अब राष्ट्रपति के दख़ल ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है. ट्रंप डिपार्टमेंट और जस्टिस को इन दस्तावेज़ों को जारी करने का आदेश दे सकते हैं. एफ़बीआई की ज़िम्मेदारी डिपार्टमेट ऑफ जस्टिस के पास ही होती है. मगर विश्लेषकों का कहना है कि इससे उच्च अधिकारियों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.
मूलर से मुख़बिर का क्या संबंध है?
वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक़ एक साल पहले मूलर की नियुक्ति होने से पहले से ही यह मुख़बिर रूस संबंधित जांच में सहयोग दे रहा है. एफ़बीआई ने जुलाई 2016 में चुनाव प्रचार के दौरान ही इस मामले की जांच शुरू कर दी थी. मगर अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मुख़बिर को कैसे ऐसी सूचना मिली, जिसके आधार पर उसे पापाडोपलस और पेज से मुलाकात करनी पड़ी. एफ़बीआई के मुख़बिर के तौर पर उसका काम क्या था, इस बारे में भी ज़्यादा जानकारी सामने नहीं आई है.
एफ़बीआई के पूर्व प्रमुख मूलर ने अब तक 19 लोगों पर मामला बनाया है. पापाडोपलस ने कथित तौर पर रूस के बिचौलियों से मुलाकात के समय को लेकर एफबीआई से झूठ कहने का दोष स्वीकार कर लिया है मगर ट्रंप और उनसे समर्थकों ने स्पेशल काउंसल के काम पर हमले तेज़ कर दिए हैं. बिना कोई सबूत पेश किए ट्रंप ने रविवार को जांच रोकने की मांग की. उन्होंने कहा कि इस पर 20 मिलियन डॉलर खर्च हो चुके हैं और 13 “नाराज़ और बहुत से मतभेदों वाले’ डेमोक्रैट्स इसकी जांच कर रहे हैं.