टोक्यो ओलंपिक: सेमीफाइनल में हारी भारतीय हॉकी टीम, अब भी कांस्य पदक की उम्मीद बाकी…

भारतीय पुरुष हॉकी टीम अंतिम 11 मिनट के अंदर तीन गोल गंवाने के कारण टोक्यो ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में विश्व चैम्पियन बेल्जियम से 2-5 से हार गई. भारतीय टीम 49 साल बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंची थी और अब वह ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के बीच होने वाले दूसरे सेमीफाइनल में पराजित होने वाली टीम से कांस्य पदक के लिए गुरुवार को भिड़ेगी.

भारत की तरफ से हरमनप्रीत सिंह (7वें) और मनदीप सिंह (9वें मिनट) ने गोल किए, जबकि बेल्जियम के लिए अलेक्सांद्र हेंड्रिक्स (19वें, 49वें और 53वें मिनट) ने तीन, जबकि लोइक फैनी लयपर्ट (दूसरे मिनट) और जॉन जॉन डोहमेन (60वें मिनट) ने एक गोल किया.

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भारत ने आखिरी बार मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन वह म्यूनिख ओलंपिक 1972 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचा था. मॉस्को ओलंपिक में मैच राउंड रोबिन आधार पर खेले गए थे.

ऐसा रहा मुकाबला –

पहले क्वार्टर में वर्ल्ड नंबर-3 भारतीय टीम का दबदबा रहा. मैच के दूसरे ही मिनट में लोइक फैनी लयपर्ट ने पेनल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील कर बेल्जियम को 1-0 से आगे कर दिया. भारतीय टीम को भी सातवें मिनट में पहला पेनल्टी कार्नर मिला, लेकिन वह इसे गोल में तब्दील नहीं कर पाई. हालांकि भारत को तुरंत ही एक और पेनल्टी कार्नर मिला और इस बार हरमनप्रीत ने गोल कर स्कोर बराबर कर दिया. अगले ही मिनट में अमित रोहिदास के शानदार पास पर मनदीप सिंह ने गोल कर भारत को 2-1 से आगे कर दिया.

दूसरे क्वार्टर में बेल्जियम की टीम का पलड़ा भारी रहा. इस क्वार्टर के शुरुआती मिनटों में बेल्जियम को लगातार तीन पेनल्टी कार्नर मिले. लेकिन भारतीय डिफेंस ने बेल्जियम के इन हमलों को नाकाम कर दिया. खेल के 19वें मिनट में बेल्जियम को एक और पेनल्टी कॉर्नर मिला, जिसे एलेक्जेंडर हेंड्रिक्स ने गोल में बदलकर बेल्जियम को 2-2 की बराबरी दिला दी. हालांकि, भारतीय टीम को भी दूसरे क्वार्टर के समाप्त होने के ठीक पहले अपना चौथा पेनल्टी कॉर्नर मिला. लेकिन अबकी बार हरमनप्रीत सिंह गोल नहीं कर पाए.

तीसरे क्वार्टर में भारतीय टीम के पास ज्यादातर समय पॉजिशन रहा, लेकिन वह गोल नहीं कर सकी. इस दौरान 38वें मिनट में भारत को पेनल्टी कॉर्नर भी मिला, लेकिन हरमनप्रीत सिंह स्कोर नहीं कर सके. चौथे एवं आखिरी क्वार्टर में बेल्जियम ने भारतीय डिफेंस पर दबाव बनाते हुए कई पेनल्टी कॉर्नर हासिल किए. 49वें मिनट में हेंड्रिक्स ने पेनल्टी कॉर्नर पर गोल कर बेल्जियम को 3-2 की बढ़त दिला दी.

फिर 53वें मिनट में हेंड्रिक्स ने पेनल्टी स्ट्रोक को गोल में तब्दील कर भारत को दो गोल से पीछे कर दिया. अब भारत को मैच में बराबरी करने के लिए सात मिनट के अंदर दो गोल करने थे, लेकिन बेल्जियम की डिफेंस को भारतीय खिलाड़ी भेद नहीं पाए. उल्टे, खेल के आखिरी मिनट में जॉन डोहमेन ने गोल को बेल्जियम को 5-2 से निर्णायक बढ़त दिला दी.

ओलंपिक में भारत को आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में मिला था, जब वासुदेवन भास्करन की कप्तानी में टीम ने पीला तमगा जीता था. उसके बाद से भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आई और 1984 लॉस एंजेलिस ओलंपिक में पांचवें स्थान पर रहने के बाद वह इससे बेहतर नहीं कर सकी. लेकिन अब 41 साल बाद भारतीय टीम के पास कांस्य पदक जीतने का बेहतरीन मौका है.

भारत का सफर

ग्रुप-ए में भारत को गत चैम्पियन अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, जापान, न्यूजीलैंड और स्पेन के साथ रखा गया था. वहीं ग्रुप-बी में बेल्जियम, कनाडा, जर्मनी, ब्रिटेन, नीदरलैंड और दक्षिण अफ्रीका की टीमें थीं. सभी टीमें एक-दूसरे से खेलीं और दोनों ग्रुप से शीर्ष चार टीमें सेमीफाइनल में पहुंचीं. भारत चार जीत और एक हार के साथ अपने ग्रुप में दूसरे नंबर पर रहकर क्वार्टर फाइनल में पहुंचा था. फिर क्वार्टर फाइनल में भारत ने ग्रेट ब्रिटेन को 3-1 से हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई थी.

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