आज हैं षटतिला एकादशी ऐसे रखें श्रद्धालु व्रत, जानिए तिल के इस्तेमाल करने का खास महत्व

षटतिला एकादशी व्रत श्रद्धालु रविवार को रखेंगे। इस एकादशी पर तिल के इस्तेमाल का महत्व है। इसदिन तिल का छह तरीकों से प्रयोग किया जाता है। मान्यता है कि षटतिला व्रत के समान अन्य व्रत नहीं है। जो भी व्यक्ति इस दिन तिल से बने विविध व्यंजनों का सेवन करता है, वह आरोग्य की प्राप्ति करता है। उसके सुख-सौभाग्य, धन-धान्य में वृद्धि होती है।

यह है व्रत का महत्व
पंडित शरद चंद्र मिश्र बताते हैं कि इस एकादशी के दिन छह प्रकार से तिलों का इस्तेमाल किया जाता है। यही वजह है कि इसका नाम षटतिला एकादशी पड़ गया। तिल मिले जल से स्नान, तिल का उबटन, तिल का होम, तिल मिले जल का पान, तिल का भोजन और तिल का दान, इस प्रकार तिल का छह प्रकार से प्रयोग इस एकादशी के दिन होता है।

जो व्यक्ति इस व्रत का पूर्ण विधि से पालन करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है। उसका जीवन सुख से परिपूर्ण होता है। इस व्रत के प्रभाव से धन, धान्य, वस्त्र एवं स्वर्ण आदि का आगमन परिवार में होता है। उसे आरोग्य मिलता है। कभी धन का अभाव और दुखों की पीड़ा नहीं होती है। व्रती को प्रभु धाम की प्राप्ति होती है।

ऐसे करें पूजा
पंडित अवधेश मिश्र के अनुसार इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर भगवान का मनन करते हुए सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। फिर भगवान विष्णु की पूजा विधि-विधान से करें। पूजन धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह चीजों से करने के साथ रात को दीपदान करें।

इस दिन रात को सोए नहीं। सारी रात जागकर भगवान का भजन-कीर्तन करें। अगले दिन ब्राह्मणों को ससम्मान आमंत्रित करके भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भेंट और दक्षिणा दें। इसके बाद सभी को प्रसाद देने के बाद खुद भोजन करें।

Back to top button