पंजाब में नए कृषि कानूनों के खिलाफ तीन विधेयक पेश, किसानों के हित में नहीं केन्द्र सरकार: अमरिंदर सिंह

चंडीगढ़। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मंगलवार को विधानसभा में केंद्र सरकार द्वारा बीते मानसून सत्र में पास किए गए तीन नए कृषि कानूनों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि नए खेत कानून किसानों और भूमिहीन श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं। मुख्यमंत्री ने इस दौरान तीन विधेयकों को विधानसभा में पेश किया जिसमें – किसानों को उत्पादन सुविधा अधिनियम में संशोधन, आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन, किसानों के समझौते और कृषि सेवा अधिनियम में संशोधन शामिल है।

इससे पहले 14 अक्टूबर को चंडीगढ़ में अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का निर्णय लिया गया था। सीएम ने कहा था कि उनकी सरकार विधायी, कानूनी और अन्य मार्गों के माध्यम से संघीय नियमों के विरोधी और शातिर कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ेगी। सीएम ने कहा था कि वह केंद्रीय कानूनों के खतरनाक प्रभाव को कम करने के लिए राज्य के कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने के लिए विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाएंगे। उन्होंने आरोप लगाया था कि केंद्र का बिल किसानों के साथ-साथ राज्य की कृषि और अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए बनाया गया है।

क्या है केंद्र सरकार का दावा?

गौरतलब है कि 28 अगस्त को विधानसभा सत्र में, तीन विवादास्पद कृषि विधेयकों को अस्वीकार करने के लिए बहुमत से एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिन्हें बाद में कानून बना दिया गया। राज्य में किसानों ने हाल ही में संसद द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करने के लिए रास्ता तैयार करेगा जो उन्हें बड़े कॉर्पोरेट्स की ‘दया’ पर छोड़ देगा।

हालांकि, केंद्र का दावा है कि नए कानून किसानों की आय बढ़ाएंगे, उन्हें बिचौलियों के चंगुल से मुक्त करेंगे और खेती में नई तकनीक की शुरुआत करेंगे। तीन कृषि बिल – किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, 2020, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा विधेयक, 2020 के किसान (सशक्तीकरण और संरक्षण) समझौते, और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 – पारित किए गए। पिछले महीने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने दस्तखत कर कानून बनाने की सहमति दी।

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