उत्तराखंड का यह गांव हुआ कोरोना मुक्त, लोगों ने ली चैन की सांस

दूसरी लहर में कोरोना महामारी के विकराल रूप से जहां जिले में ही नहीं, बल्कि देश-दुनिया में दहशत है, वहीं रामनगर का चुकुम गांव कोराना फ्री है। लोगों की जागरूकता और नियमों का पालन करने से इस साल यहां अब तक कोई कोरोना मरीज नहीं मिला है। कोराना का केस नहीं होने से ग्रामीण चैन की सांस ले रहे हैं।

चुकुम नैनीताल जिले का अंतिम गांव है। पुल नहीं होने के कारण गांव में जाने के लिए कोसी नदी को पार करना पड़ता है। बरसात में यह गांव पूरी तरह जिले से कट जाता है। पुल बनाने की मांग लंबे समय से हो रही है। जिले का अंतिम गांव होने और चकाचौंध से दूर होने के कारण इस साल यहां कोई कोरोना मरीज नहीं मिला है।

करीब 850 की आबादी वाले इस गांव के लोगों को रोजाना रोजमर्रा का सामान लेने के लिए नदी पार कर मोहान या रामनगर की दौड़ लगानी पड़ती है। यहां के ग्रामीण खुद को कोरोना से बचाने के लिए जरूरी एहतियात बरत रहे हैं। ऐसे में चुकुम जिले के अन्य गांवों के लिए भी मिसाल बन गया है।
बाहर से आने वालों का किया जाता है क्वारंटीन
चुकुम गांव में दिल्ली या दूसरे राज्यों से आने वाले ग्रामीणों को स्कूल में क्वारंटीन किया जाता है। उसकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने पर ही गांव में घुसने दिया जाता है। गांव में समय-समय पर सैनिटाइजेशन करवाया जाता है। कोसी नदी किनारे गांव का वातावरण काफी स्वच्छ है।

प्रकृति की गोद में बसे गांव की हवा भी कुछ खास है। प्रधान सीमा आर्या ने बताया कि इस साल अब तक गांव में कोई कोरोना मरीज नहीं मिला है। लोगों की जागरूकता और नियमों का पालन करने से कोरोना को हराया जा सकता है। गांव के पूर्व प्रधान जसीराम ने बताया कि महामारी से बचाव के लिए समय-समय पर लोगों को जागरूक किया जाता है।

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