भारत की इस वैक्सीन ने मार ली बाजी, 90 प्रतिशत लोगों में इम्यूनिटी बढ़ाने में है कारागार

नई दिल्ली। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वायरस वैक्सीन से शानदार नतीजे देखने को मिल रहे हैं और ये खासतौर पर बुजुर्ग लोगों के लिए कारगर है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े वैज्ञानिकों ने आज इस ट्रायल के नतीजे पब्लिश किए हैं जिसमें सामने आया है कि इस वैक्सीन ने 99 प्रतिशत लोगों में इम्यूनिटी को काफी मजबूत किया है। ब्रिटेन ने अभी से ही इस वैक्सीन की 10 करोड़ डोज को प्री ऑर्डर कर लिया है और माना जा रहा है कि इस साल उसे 40 लाख डोज प्राप्त हो सकते हैं।

इस ट्रायल के दूसरे फेज की स्टडी में 560 लोग शामिल थे। इनमें ज्यादातर ब्रिटिश लोग शामिल थे और इस ट्रायल में सामने आया है कि कम से कम साइड इफेक्ट्स के साथ ये वैक्सीन लगभग सभी उम्र के लोगों के लिए प्रभावशाली साबित हुई है। इससे पहले अमेरिका की बायोटेक फर्म मॉर्डेना और फाइजर एंड बायोटेक ने भी कहा था कि उनकी वैक्सीन 95 प्रतिशत प्रभावशाली है और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन पिछले एक हफ्ते में तीसरी ऐसी संस्था है जिसने कोरोना वैक्सीन को लेकर पॉजिटिव न्यूज दी है।

ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के इंवेस्टिगेटर डॉ महेशी रामासामी का कहना था कि कोविड की वैक्सीन के लिए हमारी प्राथमिकता वृद्ध लोग हैं क्योंकि उनमें इस बीमारी का खतरा काफी ज्यादा है। हमें खुशी है कि ना केवल वृद्ध लोगों में बल्कि यंग लोगों में भी इस वैक्सीन के सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले हैं।

हालांकि ऑक्सफोर्ड के ये नतीजे टेस्टिंग की शुरुआती स्टेज से लिए गए हैं तो ये पूरी तरह से बता पाना मुश्किल है कि आखिर कोरोना के खिलाफ ये वैक्सीन रियल लाइफ परिस्थितियों में कितनी कारगर होगी हालांकि इसके बावजूद ये काफी सकारात्मक कदम है और अगले कुछ हफ्तों में इस टेस्टिंग के डिटेल्ड नतीजे सामने आ जाएंगे।

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इस रिसर्च में सामने आया कि हर एज ग्रुप के लोगों ने इस डोज को लेने के 28 दिनों के अंदर ही एंटी बॉडी डेवलेप कर ली थी जो वायरस को खत्म करने में कारगर है और दूसरी डोज के बाद ये और भी ज्यादा प्रभावी पाया गया। खास बात ये है कि इस वैक्सीन का उत्पादन भारत में भी हो रहा है। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट देश में इस वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है।

इस वैक्सीन का डाटा सामने आने के बाद वैज्ञानिक इसे सकारात्मक खबर बता रहे हैं और उनका मानना है कि जिस हिसाब से यूके ने इस डोज के प्री-ऑर्डर दिए हैं इससे इस देश में हर्ड इम्यूनिटी पैदा हो सकती है और चीजें काफी बेहतर हो सकती हैं।

वारविक यूनिवर्सिटी के एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ माइकल टिलडेस्ली ने भी इस वैक्सीन की तारीफ करते हुए इसे गेम चेंजर बताया है और उन्हें इस वैक्सीन से काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के वैक्सीन प्रीऑर्डर के फैसले को एकदम सही बताया है।

माना जा रहा है कि ये ऑक्सफोर्ड की ये वैक्सीन बाकी कंपनियों की तुलना में काफी सस्ती हो सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मोर्डेना की वैक्सीन की एक डोज की कीमत लगभग 2500 से 3000 वहीं फाइजर की प्रति डोज की कीमत 1500 रूपए के आसपास हो सकती है वही ऑक्सफोर्ट वैक्सीन की डोज की कीमत 200 से 250 रूपए के बीच हो सकती है।

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