इस बार नहीं कर सकेगे मानसरोवर की यात्रा, अमरनाथ के लिए 15 अप्रैल के बाद कर सकेगे रजिस्ट्रेशन

कोरोना वायरस ने आम जनजीवन को तो प्रभावित किया ही है, धार्मिक यात्राओं पर भी ब्रेक लगा दिया है। बाबा अमरनाथ और कैलाश मानसरोवर की यात्राएं भी कोरोना वायरस के लॉकडाउन से प्रभावित हुई हैं। बाबा अमरनाथ की यात्रा 23 जून से शुरू हो जाती है। इसके लिए एडवांस में पंजीकरण करना होता है। इस बार इस यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण एक अप्रैल से शुरू होना था मगर अब इसे 15 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। उधर कैलाश मानसरोवर यात्रा की तो संभावनाएं ही खत्म होती दिख रही हैं।

दरअसल मानसरोवर यात्रा की तैयारियों को लेकर विदेश मंत्रालय हर साल केएमवीएन, आइटीबीपी, पिथौरागढ़ जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक करता है। इसी बैठक में जत्थों व यात्रियों की संख्या, यात्रा के रूट समेत अन्य व्यवस्थाओं को लेकर अहम निर्णय लिए जाते हैं।

इस बैठक के बाद ही विदेश मंत्रालय द्वारा यात्रा पंजीकरण के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू किए जाते हैं लेकिन इस बार अब तक पंजीकरण शुरू होना तो दूर विदेश मंत्रालय की बैठक तक नहीं हुई है। जबकि पिछली बार यह बैठक 22 फरवरी को हो चुकी थी। 17 मार्च के बाद यात्रा के लिए पंजीकरण भी शुरू हो चुके थे। निगम प्रबंधन यात्रा तैयारियों की बैठक को लेकर विदेश मंत्रालय के पत्र का इंतजार कर रहा है। ऐसे में इस यात्रा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

बाबा अमरनाथ की 23 जून से शुरू होने वाली वार्षिक यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण की प्रक्रिया 15 अप्रैल तक स्थगित कर दी गई है। एडवांस पंजीकरण एक अप्रैल से होने थे। 42 दिन की यात्रा के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू कश्मीर बैंक और येस बैंक की 442 शाखाओं में एडवांस पंजीकरण के प्रबंध किए गए हैं।

श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनूप सोनी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी कि यात्रा के पंजीकरण को 15 अप्रैल तक स्थगित कर दिया गया है। निर्धारित शेड्यूल के अनुसार रक्षाबंधन वाले दिन यानि 3 अगस्त को यात्रा संपन्न होनी है। इस समय कोरोना वायरस के चलते देशव्यापी लॉकडाउन है जो 14 अप्रैल को खत्म होगा।

चूंकि एडवांस पंजीकरण बैंकों में होता है इसलिए इसे स्थगित किया गया है। लंगरों के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया 25 फरवरी को ही समाप्त हो गई थी। देश भर से 115 लंगर संगठनों ने श्रीअमरनाथ जी श्राइन बोर्ड के पास आवेदन किया है। यह लंगर यात्रा के आधार शिविरों बालटाल, पहलगाम और यात्रा मार्गों पर लगते हैं। दिल्ली एनसीआर से भी सैकड़ों की संख्या में लोग इस यात्रा के दौरान लंगर लगाने और सेवा करने के लिए जाते हैं।

बाबा अमरनाथ तीर्थयात्रा के दो मुख्य आधार शिविर बालटाल और पहलगाम में हैं। बालटाल श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर जोजिला दर्रे के दामन में स्थित है जबकि पहलगाम दक्षिण कश्मीर में लिद्दर दरिया किनारे बसा एक गांव। बालटाल से करीब 14 किमी. की यात्रा कर पवित्र गुफा पहुंचा जा सकता है। यह रास्ता अत्यंत कठिन है। पहलगाम से पवित्र गुफा की दूरी बेशक 48 किलोमीटर है लेकिन पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक तीर्थयात्रा का विधान और पुण्य प्राप्त करना है इसीलिए यही मार्ग अपनाना चाहिए।

भगवान शिव जब अमरत्व की कथा सुनाने के लिए अमरेश्र्वर गुफा में पहुंचे थे तो उन्होंने इसी मार्ग से यात्रा करते हुए रास्ते में अपने साथियों को अलग-अलग जगहों पर छोड़ा था। भगवान अमरेश्र्वर की छड़ी मुबारक भी इसी मार्ग से पवित्र गुफा के लिए रवाना होती है। पहलगाम में उन्होंने अपने वाहन नंदी को छोड़ा। इसके करीब 16 किमी. दूर चंदनबाड़ी है। यहां वाहनों में भी लोग आ सकते हैं और पैदल भी।

यहीं पर भगवान शिव ने अपने माथे से चंद्रमा को उतारकर छोड़ा था। चंदनबाड़ी में देवदार के पेड़ों की श्रृंखला के बीच पहाड़ी चोटियों को छूते सफेद ग्लेशियर को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे किसी ने सफेद चादर बिछायी हो। पहलगाम से छड़ी मुबारक रवाना होने के बाद यहीं पर रात्रि विश्राम करती है।

इस बार बर्फबारी अधिक हुई है, इसलिए कहा जा रहा है कि इस बार बाबा बर्फानी के जो दिव्य दर्शन श्रद्धालु करेंगे वे पहले शायद ही कभी हुए होंगे। मगर कोरोना वायरस के प्रकोप ने इस तरह की संभावनाओं पर लगाम लगा दी है। दूसरी एक बड़ी बात ये भी है कि लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से काफी डरे हुए भी है।

कुमाऊं मंडल विकास निगम की प्रतिवर्ष जून में प्रस्तावित प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा पर इस बार कोरोना वायरस का असर पड़ता दिख रहा है। केएमवीएन के जीएम अशोक जोशी ने बताया कि इस बार यात्रा की संभावना खत्‍म हो चुकी है।

वो बताते हैं कि साल 1981 से कुमाऊं में लिपुलेख दर्रे के रास्ते शुरू हुई मानसरोवर यात्रा अब दस हजार से अधिक शिवभक्त कर चुके हैं। मगर इस बार यात्रा की संभावना नहीं दिख रही है। इसका एक बड़ा कारण ये है कि अब तक इस संबंध में विदेश मंत्रालय के साथ निगम प्रबंधन यात्रा तैयारियों की बैठक तक नहीं हो सकी है। इस बैठक के बाद ही तमाम चीजें तय हो पाती हैं।

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