हर एक महिला के लिए जानना जरूरी हैं प्रेगनेंसी से जुड़ी ये खास बातें…

गर्भावस्था से जुड़ी ऐसी तमाम बातें हैं, जिन्हें बहुत सी महिलाएं नहीं जानतीं। वहीं अगर आप पहली बार मां बन रही हैं, तो आपके अंदर प्रेगनेंसी से जुड़े तमाम तथ्यों को जानने की उत्सुकता होगी और इन्हें जानने का प्रयास भी करती होंगी। तो आइए हम आपको बताते हैं प्रेगनेंसी से जुड़ी वो अनकही बातें जिनके बारे में हर महिला को पता होना चाहिए।
1. एक रिसर्च के मुताबिक 25 में से केवल एक महिला को ही डॉक्टर द्वारा दी गई अनुमानित डिलीवरी की तारीख पर प्रसव होता है। वहीं पांच में से एक बच्चा ऐसा होता है जो 41वें हफ्ते या उसके बाद जन्म लेता है।
2. आमतौर पर डॉक्टर प्रेगनेंसी के 40वें हफ्ते से ही बच्चे की हरकतों और सेहत को लेकर सजग हो जाते हैं। ज्यादा देर तक गर्भ में रहने से बच्चे को परेशानियां हो सकती हैं। ग्लोकोस मेटाबॉलिज़्म के कारण बच्चे का वज़न बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। इसके अलावा बच्चे के अपने मल को खाने का खतरा बढ़ जाता है। कई बार सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है।

3. अगर गर्भावस्था 42वें हफ्ते के बाद तक चलती है तो इसे प्रोलॉन्ग प्रेगनेंसी कहते हैं। प्रोलॉन्ग डिलीवरी से बच्चे को कुछ परेशानियां हो सकती हैं। इसलिए डॉक्टर इसे लेकर पहले ही सचेत हो जाते हैं। क्योंकि कुछ मामलों में बच्चों के अचानक गर्भ में दम तोड़ने या पैदा होने के कुछ समय बाद दुनिया को अलविदा कह देने के मामले सामने आ चुके हैं।
4. ज्यादातर मामलों में दूसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं की सेक्स में दिलचस्पी बढ़ जाती है। तीसरी तिमाही में इच्छा लगभग खत्म हो जाती है। ये सब गर्भावस्था के दौरान हार्मोन के उतार-चढ़ाव की वजह से होता है। इससे बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।

5. तुलसी का सेवन सामान्य लोगों के लिए बेहतर औषधि का काम करता है, लेकिन गर्भावस्था में इसे विशेषज्ञ से पूछे बगैर नहीं लेना चाहिए। रिसर्च के मुताबिक तुलसी के सेवन से पेल्विक हिस्से और गर्भाशय की तरफ रक्त संचार बढ़ जाता है, जिसकी वजह से संकुचन हो सकता है। इसके अलावा तुलसी के सेवन से सर्जरी के समय ब्लीडिंग होने का अंदेशा होता है क्योंकि तुलसी का सेवन खून के जमने की प्रक्रिया हो धीमा कर देता है।
6. गर्भावस्था के दौरान महिला को सॉना ट्रीटमेंट, स्टीम रूम, जकूज़ी या किसी भी हॉट ट्रीटमेंट से भी परहेज करना चाहिए। शरीर का तापमान ज्यादा बढ़ने की वजह से बच्चे को नुकसान पहुंचने का खतरा रहता है।

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