दुनिया की ये जगह आज तक बनी हैं रहस्यमयी, जिसमे दफन है कई राज
दुनिया में कई ऐसे रहस्य होते हैं जिन पर यकीन कर पाना मुश्किल होता है। कई प्रकार की खोज के बाद भी वह रहस्य, रहस्य बनकर ही रहे जाते हैं। उनके पीछे का राज सदियों की कोशिशों के बावजूद भी कोई नहीं जान पाता कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है। भारत में वृंदावन की रासलीला और ताजमहल में कब्र पर गिरने वाले पानी के राज को आज तक कोई नहीं पता कर सका है। ठीक इसी प्रकार दुनिया में भी कई जगह ऐसी हैं जो रहस्यमयी हैं। आपको ऐसी जगहों के बारे में जानकर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है। ऐसे स्थान आज भी गहन रहस्य बने हुए हैं..
ब्राजील के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक यह जगह फ्लोरिडा से लगभग आधी है। नेशनल जियोग्राफिक के मुताबिक इस क्षेत्र को विशेष रूप से घुसपैठ से संरक्षित रखा गया है। यह एक घने जंगल वाला इलाका है। कहा जाता है कि यहां रहने वाले लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह अंजान हैं। यहां रहने वाले 200 अज्ञात लोगों के अस्तित्व की पुष्टि भी साल 2011 में हुई थी। यानि इन लोगों को पता ही नहीं था कि इस जंगल से बाहर भी कोई दुनिया है।
जापान में मौजूद इस छोटे से द्वीप को खरगोश द्वीप भी कहा जाता है। यहां प्रति वर्ष 300 जंगली खरगोशों के देखने एक लाख लोग आते हैं। एक जापानी यात्री के मुताबिक ये खरगोश करीब 40 साल पहले पालतू खरगोशों के एक समूह से निकले थे। अब इन खरगोशों की जनसंख्या को गिरने से रोकने के लिए द्वीप पर बिल्लियों, कुत्तों समेत अन्य जानवरों का आना वर्जित कर दिया गया है।
ब्राजील में स्थित इलाहा दा क्यूइमादा एक ऐसा द्वीप है जो जानवरों द्वारा शासित है। इसके पीछे क्या रहस्य है, ये भी आज तक कोई नहीं जान पाया है। इस द्वीप को सांपों का द्वीप भी कहा जाता है। यह दुनिया के उन हजारों विषैले सांपों का घर है, जिनका नाम है गोल्डन लांसहेड वाइपर। ब्राजील की नौसेना ने सभी नागरिकों का द्वीप पर आना प्रतिबंधित किया हुआ है। यह द्वीप साओ पाउलो से महज 20 मील की दूरी पर स्थित है। यहां प्रति 3 फीट की दूरी पर एक से पांच सांप आसानी से मिल जाएंगे।
यह दुनिया का सबसे ठंडा, शुष्क और तेज हवाओं वाला महाद्वीप है। ये जगह 96 फीसदी बर्फ से ढकी हुई है। यहां सामान्य लोगों का रहना एक तरह से नामुमकिन है। लेकिन यहां वैज्ञानिक कई महीनों तक रहते हैं जो यहां खोज के उद्देश्य से आते हैं। यहां रहने वाले वैज्ञानिक खुद को ठंड से बचाने के लिए पूरे इंतजाम के साथ आते हैं। यह स्थान पूरी तरह से सुनसान रहता है, दिखाई देती है तो बस बर्फ और सिर्फ बर्फ।
यह आम तौर पर कहा जाता है कि दनाकिल रेगिस्तान की गर्मी धरती पर नरक की आग का अहसास कराती है। दुनिया में जहां कुछ महीनों के अंतराल में मौसम बदलता है, कभी सर्दी होती है तो कभी गर्मी लेकिन इस जगह पर पूरे साल न्यूनतम तापमान 48 डिग्री के आसपास ही तापमान रहता है। कभी कभी तो पारा 145 डिग्री भी हो जाता है। आग उगलने के कारण इस जगह को ‘क्रुअलेस्ट प्लेस ऑन अर्थ’ भी कहा जाता है। जिस कारण यहां के तालाबों का पानी हर वक्त उबलता रहता है। नेशनल ज्योग्राफिक ने इसे “पृथ्वी पर सबसे क्रूर जगह” कहा है। यहां 62,000 मील से अधिकत में रेगिस्तान फैला है। ऐसे में यहां रह पाना भी नामुमकिन ही है।
इस जगह का रहस्य है यहां की जमीन.. जो बेहद सुलगती हुई और गर्म है। अमेरिका के पेंसिलवेनिया में स्थित इस जगह को भूतिया टाउन भी कहा जाता है। ऐसा यहां 1962 से हो रहा है। इस टाउन में एक समय 1400 लोगों की आबाधी रहती थी लोकिन 56 साल पहले एक अंडरग्राउंड आग के कारण यह जगह पूरी तरह खाली हो गई। यहां आने वाले लोगों के लिए चेतावनी के बोर्ड भी लगाए गए हैं। यहां की जमीन पर पेड़ पौधों का जीवित रह पाना नामुमकिन है जिस कारण यहां कोई मनुष्य नहीं रह पाता।
यहां की मुख्य समस्या है यहां पड़ने वाली गर्मी जिससे यहां का तापमान 130 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में यहां किसी की भी मृत्यु हो सकती है। यहां 1913 में रिकॉर्ड 1134.06 डिग्री तापमान मापा गया था। यहां साल में औसत वर्षा मात्र 5 सेमी. के लगभग होती है। यहां पानी के निशान तक नहीं हैं। वहीं अगर कहीं पानी मिल भी जाए तो वह खारा होता है। इसे दुनिया की सबसे गर्म जगह के रूप में माना जाता है जहां किसी का भी रह पाना नामुमकिन है।
इस जगह पर बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है जिस कारण यहां का औसतन वार्षिक तापमान -10 डिग्री होता है। वहीं सर्दियों में यहां का तापमान -55 डिग्री होता है। इस शहर में प्रति वर्ष दो महीने तक अंधेरा रहता है। जिस कारण आर्टिटेक्टस ने शहर को इस तरह डिजाइन किया है कि क्रूर हवाओं को थोड़ा रोका जा सके। क्योंकि उनको पूरी तरह रोक पाना लगभग नामुमकिन सा है। यह शहर सबसे प्रदूषित भी है जिसका कारण है यहां की हवा में तांबा, निकल और सल्फर डाइऑक्साइड की उच्च सांद्रता का होना। यहां खानों और फेक्ट्रियों का संचालन 24/7 होता है।
यूक्रेन के चेरनोबिल में हुई परमाणु दुर्घटना को दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हादसा माना जाता है। यह हादसा साल 1986 को हुआ था। पहले ये स्थान करीब 49,000 निवासियों का घर था। इसके बाद यहां कुछ ऐसी घटनाएं होने लगीं जिसके बाद इस जगह को घोस्ट टाउन कहा जाने लगा। कहा जाता है कि जगह के खाली होने के बाद भी स्कूलों में पेड़ उगते हैं, पुस्तकालयों में किताबें पाई जाती हैं और गुड़िया अभी भी किंडरगार्टन फर्श में देखे जा सकते हैं। कहा जाता है कि इस घटना से पहले यहां एक लाख बच्चों के लिए 19 स्कूल थे। बड़ी संख्या में लोग इस दुर्घटना का शिकार हुए थे।
यह क्षेत्र बेहद ऊंचाई पर स्थित है। एक नए अध्ययन में पता चला कि 62,000 साल पहले यहां कुछ बस्तियों का गठन हुआ था। यह पठार 14,760 फीट की ऊंचाई पर स्थित है जहां ऑक्सीजन की बेहद कमी है। यहां कम ऑक्सीजन और ठंडी जगह में रह पाना बेहद मुश्किल है।