पंजाब की राजनीति में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस को लेकर शुरू हुई ये नई चर्चाएं

पंजाब की राजनीति में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस को लेकर नई चर्चाएं शुरू हो गई है। अपनी पार्टी बनाने की घोषणा कर चुके कैप्टन अमरिंदर सिंह को कांग्रेस अब भी मनाना चाहती है। बताया जाता है कि इसके लिए पार्टी की राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष सोनिया गांधी खुुद सक्रिय हाे गई हैं। कांग्रेस नहीं चाहती है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस छोड़े। यही कारण है कि अभी तक कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर सिंह की तीखी बयानबाजी के बावजूद उनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है। दूसरी ओर, बताया जाता है कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस से नाता तोड़कर नई सियासी राह पर चलने को अडिग हैं। यही कारण है कि कैप्‍टन भाजपा के साथ अपनी नजदीकी बढ़ा रहे हैं।     

कैप्‍टन अमरिंदर सिंह अपनी नई सियासी राह पर अडिग, भाजपा से बढ़ा रहे नजदीकी

दरअसल कांग्रेस  को डर है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अगर अपनी पार्टी बनाते है तो उसे पंजाब में काफी नुकसान हो जाएगा। 2022 के विधानसभा चुनाव तक पार्टी इस डैमेज को कंट्रोल नहीं कर पाएगी। माना जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह को मनाने का प्रयास खुद सोनिया गांधी की तरफ से ही किया जा रहा है। वहीं, कैप्टन के पार्टी बनाने की घोषणा के साथ दिल्ली में कांग्रेस खेमे में भी खासी हलचल देखी जा रही है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 27 अक्टूबर को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में अपने अगले सियासी कदम के बारे में साफ कर दिया था। अपने खिलाफ बगावत की चर्चा करते हुुए कैप्‍टन ने कहा था, जब पार्टी हाईकमान ने ही उन्हें बदलने का मन बना लिया तो बाकि तब तो बहाना था। दो बार मुख्यमंत्री और तीन बार प्रदेश प्रधान रहे 79 वर्षीय कैप्टन 27 अक्टूबर को ही अपनी पार्टी का गठन करने की तैयारी में थे, लेकिन अंतिम समय में इस योजना को बदल दिया गया। 

कैप्टन ने 28 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की बात की थी। यह बैठक भी नहीं हो पाई है। बताया जाता है कि अमित शाह की व्‍यस्‍तता के कारण यह टल गई और दोनों नेताओं की मुलाकात जल्‍द होने की संभावना है। इस बीच कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी अब भी नहीं चाहती है कि कैप्टन किसी भी सूरत में पार्टी छोड़ें। क्योंकि,  पार्टी को यह फीडबैक है कि इससे 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में उसकी राह मुश्किल हो जाएगी।

माना जा रहा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के पार्टी छोड़ने से पंजाब का हिंदू वोटबैंक कांग्रेस से हिल जाएगा। कांग्रेस के पास फिलहाल हिंदू वोट बैंक को रोकने का कोई विकल्‍प नहीं है। वहीं, अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह के रूप में  भाजपा को बैठे-बिठाए एक बड़ा सिख चेहरा मिल जाएगा, जिसकी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। ऐसे में कांग्रेस वह मंत्र निकालना चाहती है कि किसी भी तरह से कैप्टन को पार्टी में ही रोक कर रखा जाए।

कैप्टन और सिद्धू में से एक को चुनना होगा

कैप्टन अमरिंदर सिंह जिस प्रकार से नवजोत सिंह सिद्धू से खिन्न है ऐसे में पार्टी को दोनों में से किसी एक को ही चुनना होगा, क्योंकि एक म्यान में दो तलवार नहीं रह सकती है। जिस प्रकार से सिद्धू ने कैप्टन के मुख्यमंत्री रहते हुए इंटरनेट मीडिया पर उनके खिलाफ अभियान छेड़ा था और कांग्रेस हाईकमान ने कभी भी इस पर कोई एतराज नहीं जताया, इसके बाद से ही सिद्धू और कैप्टन की लड़ाई राजनीति से ऊपर उठ कर निजी हो गई है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह तो पहले ही चुनौती दे चुके हैं कि सिद्धू पटियाला से चुनााव लड़े तो वह उनके खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। इसके बाद उन्‍होंने कहा कि सिद्धू जहां से चुनाव लड़ेंगे वह अपना उम्‍मीदवार उतारकर उन्‍हें हराएंगे। 27 अक्‍टूबर को मीडिया से बातचीत में भी उन्होंने कहा था कि सिद्धू जहां से लड़ेंगे हम उन्हें हराएंगे। ऐसे में इस बात की संभावना कम ही है कि कैप्टन अपने राजनीतिक कैरियर के अंतिम पड़ाव में सिद्धू के साथ समझौता करेंगे। अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई तो कांग्रेस को कैप्टन या सिद्धू में से किसी एक को ही चुनना पड़ेगा।

कांग्रेस पहले से ही सिद्धू के नफे नुकसान का कर रही है आंकलन

कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने और चरणजीत सिंह चन्नी के नए मुख्यमंत्री बनने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस प्रकार से एडवोकेट जनरल और डीजीपी को लेकर प्रदेश प्रधान पद से इस्तीफा दिया, उससे कांग्रेस पहले से ही काफी खिन्न है। राहुल गांधी द्वारा मनाए जाने के बावजूद सिद्धू ने अभी तक अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया है। वह पार्टी के कार्यक्रमों में तो हिस्सा ले रहे है लेकिन कांग्रेस भवन नहीं जा रहे है। इसे देखते हुए कांग्रेस लंबे समय से सिद्धू के साथ रहने या नहीं रहने को लेकर आंकलन करने में जुटी हुई है। यही पार्टी यह भी आंकलन कर रही है कि कैप्टन के जाने से पार्टी को कितना नुकसान होगा और सिद्धू के जाने से कितना।

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