अगले महीने से बदल जाएंगे ये अहम नियम, जानिए आपको कितना होगा फायदा और नुकसान

कोरोना काल में कई योजनाओं पर मिलने वाला ब्याज कम हुआ था, लेकिन ईपीएफ खातों में अधिक ब्याज मिलता है। अब अगले महीने यानी एक अप्रैल से नया नियम लागू होने जा रहा है। एक फरवरी 2021 को पेश बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स की घोषणा की गई थी। अब एक वित्त वर्ष में 2.5 लाख तक ईपीएफ में निवेश ही टैक्स फ्री होगा। उससे ज्यादा निवेश करने पर अतिरिक्त राशि पर ब्याज से होने वाली कमाई पर टैक्स लगेगा। 

आसान भाषा में समझें, तो अगर आपके खाते में हर साल पांच लाख रुपये जमा होते हैं तो ढाई लाख तक का ब्याज टैक्स फ्री रहेगा, बाकी ढाई लाख पर मिलने वाला ब्याज टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाएगा। इस नए नियम से केवल मोटी सैलरी पाने वाले कर्मचारी ही प्रभावित होंगे। वित्त मंत्रालय के मुताबिक इस प्रस्ताव से केवल एक फीसदी पीएफ सब्सक्राइबर्स पर ही असर पड़ेगा। बता दें कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के अंशधारकों की संख्या छह करोड़ से भी ज्यादा है। 

2016 में भी किया था ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव 
मालूम हो कि यह पहली बार नहीं है जब सरकार ने पीएफ की राशि पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा है। साल 2016 के बजट में भी केंद्र सरकार ने ईपीएफ में जमा के 60 फीसदी ब्याज पर टैक्स लगाने का प्रस्ताव किया था। हालांकि इस नए टैक्स पर व्यापक स्तर पर विरोध के बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया था। राजस्व घाटे की भरपाई के लिए केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। साथ ही सरकार का पीएफ खातों पर टैक्स लगाने का मकसद यह भी था कि पीएफ खातों की मदद से कोई टैक्स देने से न बच पाएं।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए पीएफ राशि पर ब्याज दर की घोषणा करता है। श्रम मंत्रालय ने कर्मचारी भविष्य निधि पर चालू वित्त वर्ष (2020-21) के लिए 8.5 फीसदी ब्याज देने का फैसला किया है। 

किस साल कितना मिला ब्याज?
2013-14    8.75 फीसदी
2014-15    8.75 फीसदी
2015-16    8.80 फीसदी
2016-17    8.65 फीसदी
2017-18    8.55 फीसदी
2018-19    8.65 फीसदी
2019-20    8.50 फीसदी

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