कोरोना से ठीक होने वाले लोगों के लिए आई ये बड़ी खबर, बढ़ सकती हैं ये बड़ी बीमारी…

कोरोना की दूसरी लहर का असर अब धीरे-धीरे कम होने लगा है. लेकिन चिंता की बात ये है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसी परेशानियों को डॉक्टर ‘लॉन्ग कोविड’ का नाम दे रहे हैं. यानी वो बीमारियां जो कोरोना के बाद लोगों को लंबे समय तक परेशान करती हैं. न्यूज़ 18 ने मरीज़ों की इन्हीं परेशानियों को लेकर एक सीरीज़ की शुरुआत की है. इसके तहत कोरोना से होने वाली बीमारियों के बारे में डॉक्टरों की राय और उससे जुड़े समाधान के बारे में चर्चा की जाती है.

मनोचिकित्सक डॉक्टर प्रीति परख आज बता रही हैं कि कैसे कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों पर डिप्रेशन और दूसरी मानसिक बीमारियों का खतरा बना रहता है. डॉक्टर प्रीति कोलकाता के एमपॉवर सेंटर में काम करती हैं. डॉक्टर के मुताबिक कोरोना से उबर चुके मरीजों में न्यूरोसाइकिएट्रिक का खतरा बना रहता है. ऐसे में पहले से मानसिक रोग से परेशान लोगों की हालात बिगड़ने का खतरा बढ़ जाता है.

बढ़ जाता है खतरा
न्यूज़ 18 से बातचीत करते हुए डॉक्टर परख ने कहा, ‘हाल के शोध से पता चला है कि लगभग एक तिहाई लॉन्ग कोविड रोगियों में संक्रमित होने के छह महीने के भीतर न्यूरोसाइकिएट्रिक स्थिति विकसित हो जाती है. लिहाज़ा पुराने मानसिक रोगियों की स्थिति बिगड़ने लगती है. यह भी काफी चिंताजनक है कि जिन लोगों का मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का कोई पूर्व इतिहास नहीं था, वे भी कोविड -19 संक्रमण के बाद इसके शिकार हो जाते हैं.’

ऐसे बिगड़ते हैं हालात

डॉक्टर के मुताबिक फिलहाल ये पता नहीं चल सका है कि आखिर कैसे इस वायरस से न्यूरोसाइकिएट्रिक हालात पैदा हो रहे हैं. डॉक्टर ने आगे बताया, ‘वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम को खराब करता है. खून के थक्के जम सकते हैं. ऐसे में कई बार मानसिक तनाव, महामारी से संबंधित सामाजिक-आर्थिक समस्याएं, ये सभी चीज़ें मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ाती हैं. इसके अलावा लंबे समय तक सामाज के लोगों से दूर रहना, साथ ही सही दिनचर्या न होना भी अच्छे मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल नहीं हैं.’

ये हैं लक्षण

कोरोना से ठीक होने के बाद न्यूरोसाइकिएट्रिक स्थितियां जैसे कि चिंता, अवसाद, अनिद्रा, अत्यधिक चिंता, तनाव और घबराहट, शारीरिक लक्षण जैसे धड़कन, पसीना और कंपकंपी होती है. डॉक्टर ने कहा, ‘पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक प्रकार का एंग्जायटी डिसऑर्डर है जो लंबे समय तक कोविड में आम है. खासकर उन लोगों में जो लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहे और आईसीयू में रहे. बार-बार बुरे सपने आना और दर्दनाक अनुभवों के फ्लैशबैक से निपटना बहुत मुश्किल हो जाता है.’

क्या करें ऐसे हालात में

आखिर कैसे ऐसे हालत से निपटा जाए. इसके बारे में डॉक्टर ने बताया, ‘ लोगों को उन न्यूज़ आइटम से बचना चाहिए जो उन्हें परेशान करते हैं. उन्हें कोविड से मरने वाले लोगों की संख्या के बारे में अपडेट रखने की कोई आवश्यकता नहीं है. उन्हें उन घटनाओं के बारे में पढ़ने से बचना चाहिए जो उन्हें असहाय और निराश महसूस कराती हैं. ध्यान, योग और गहरी सांस लेने जैसे विश्राम अभ्यास तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं. हालांकि, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि व्यक्ति को अपनी समस्याओं को दोस्तों और परिवार के साथ साझा करने का प्रयास करना चाहिए.’

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