वैज्ञानिको ने दी बड़ी चेतावनी: कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक ये 7 बीमारी

कोरोना वायरस ने दुनिया भर में खूब तबाही मचाई. इस जानलेवा वायरस ने न सिर्फ लोगों की जानें लीं, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी तहस-नहस कर दिया. हालांकि, वैक्सीन के आने से अब इस बीमारी से छुटकारा मिलने की उम्मीद जगी है. कोविड-19 के खतरे को देखते हुए अब एपिडेडियोलॉजिस्ट और मेडिकल एक्सपर्ट्स हमें दूसरे कई बीमारियों और इंफेक्शन से सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं. अगर हमने सतर्कता नहीं दिखाई तो भविष्य में ये भी किसी भयानक महामारी के रूप में उभर सकते हैं. आइए आपको ऐसी ही 10 बायोलॉजिकल और घातक बीमारियों के बारे में बताते हैं जो कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हो सकती हैं.

इबोला– अफ्रीका से फैलने वाले इबोला का ट्रांसमिशन बहुत तेज नहीं है, लेकिन यह बुखार बेहद घातक है. ये बीमारी जानवरों से इंसान में फैलती है. WHO का दावा है कि इबोला इंसान से इंसान में भी ट्रांसमित होता है. हाल ही में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, इबोला के 3400 मामलों में से 2270 लोगों की मौत हुई है. जनवरी 2020 में इबोला का एक वैक्सीन भी आई थी, लेकिन उसे बड़े पैमाने पर रोलआउट नहीं किया गया. वैज्ञानिक कहते हैं कि अगर इबोला को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया तो भविष्य में इसके बुरे नतीजे देखने को मिल सकते हैं.

लासा फीवर– लासा बुखार एक वायरल इंफेक्शन है, जो रक्तस्रावी बीमारी (हेमोरेजिक इलनेस) के लक्षणों का कारण बनता है. लासा फीवर की चपेट में आने वाले हर पांचवें शख्स की किडनी, लिवर और स्प्लीन पर बहुत बुरा असर होता है. घर की दूषित चीजों, यूरीन, मल और ब्लड ट्रांसफ्यूशन के जरिए यह बीमारी लोगों में फैल सकती है. अफ्रीकी देशों में यह बीमारी अभी भी उग्र है. सैकड़ों लोगों की जान लेती है और इसकी कोई वैक्सीन भी नहीं है.

मार्गबर्ग वायरस डिसीज– यह बीमारी उसी फैमिली के वायरस फैलती है जो इबोला जैसी खतरनाक बीमारी के लिए जिम्मेदार है. ये रोग बेहद संक्रामक है और जीवित या मृत लोगों को छूने से भी फैल जाता है. इस महामारी का पहला प्रकोप साल 2005 में युगांडा में देखा गया था, जहां इसने संक्रमित हुए 90 प्रतिशत लोगों की जानें ले ली थीं.

MERS-COV– ‘दि मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम’ (MERS) भी एक बेहद खतरनाक इंफेक्शन है, जो रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट के जरिए इंसानों में फैलता है. वैज्ञानिक कहते हैं, ‘भले ही इस बीमारी का खौफ आज कम हो गया हो, लेकिन रेस्पिरेटरी हाइजीन में गलती या लापरवाही दुनियाभर में इसके मामले बढ़ने की वजह बन सकती है.’ यह SARS-COV-2 से भी संबंधित एक बीमारी है, क्योंकि दोनों एक ही तरीके से फैलते हैं.

SARS– सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (SARS) भी उसी वायरस की फैमिली से आता है जो कोविड-19 के लिए जिम्मेदार है. इस बीमारी का पहला मामला साल 2002 में चीन में दर्ज किया गया था. SARS करीब 26 देशों में फैला और करीब 8,000 लोग इसकी चपेट में आए. इसका डेथ रेट काफी ज्यादा था. लोगों में कोविड के ही लक्षण देखे गए थे. रेस्पिरेटरी ड्रॉपलेट से फैलने वाली इस बीमारी का कोई इलाज भी नहीं था.

निपाह वायरस– निपाह वायरस को खसरे के वायरस से जोड़कर देखा जाता है जो साल 2018 में केरल में बड़े पैमाने पर फैला था. इस बीमारी को सफलतापूर्वक नियंत्रित कर लिया गया था. लेकिन इसके लक्षण और ट्रांसमिट होने के तरीकों से भविष्य में इसके फैलने की संभावना काफी बढ़ जाती है. चमगादड़ से इंसानों में फैली इस बीमारी से नवर्स इन्फ्लेमेशन, सूजन, तेज सिरदर्द, उल्टी, चक्कर और घबराहट जैसे लक्षण देखे जाते हैं.

डिसीज एक्स– पिछले कुछ समय से इस बीमारी का नाम सुर्खियों में काफी ज्यादा है. 2021 में इसके एक महामारी के रूप में उभरने की संभावना भी जताई जा रही है. करीब चार दशकों से इबोला की महामारी पर काम कर रहे जीन जैक्स मुयेम्बे कहते हैं, ‘दुनिया कोरोना से जूझ रही है और इस बीच एक नए वायरस के फैलने का खतरा बढ़ गया है. नए वायरस का नाम डिसीज-एक्स है.’ डिसीज एक्स के कारणों के बारे में फिलहाल वैज्ञानिकों को जानकारी नहीं है, लेकिन ये दूसरी महामारियों से ज्यादा भयानक हो सकता है. इसकी चपेट में आने वाले 80-90 प्रतिशत लोगों की मौत हो सकती है.

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