नेपाल में पीएम ओली के खिलाफ ही बना माहौल, भारत से बातचीत के आलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं
काठमांडू। भारत-नेपाल सीमा विवाद में नया मोड़ आ गया है। विवादित इलाकों के मामले में नेपाल के विशेषज्ञों की समिति ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को ही आड़े हाथों लिया है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है नेपाल के पास भारत से बातचीत के आलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं है। समिति ने ओली को सलाह दी है कि ये नक्शा पास करने की जगह भारत से बातचीत कर मसले का कोई हल निकाला जाना चाहिए।
इस नौ सदस्यीय विशेषज्ञ पैनल की रिपोर्ट मिलने के बाद नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने फिर एक बार भारत से बातचीत का अनुरोध किया है। काठमांडू पोस्ट के मुताबिक ओली सरकार ने इस 9 सदस्यीय कमिटी को नेपाल के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के दावे को पुख्ता बनाने के लिए सबूत, ऐतिहासिक साक्ष्य और दस्तावेज तलाश करने का जिम्मा दिया था। इस कमिटी का नेतृत्व सरकारी संस्थान पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के कार्यकारी चेयरमैन बिष्णुराज उप्रेती हैं। इस कमिटी को यह भी सुझाव देने के लिए कहा गया था कि भारत से विवादित जमीन को लेने के लिए क्या रणनीति अपनाई जाए।
चीन ने मुद्दे को और उलझाया
इस समिति के दो सदस्यों ने कहा कि भारत और चीन के बीच बढ़ता तनाव, भारत के लिपुलेख इलाके में सड़क बनाने से भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद का मुद्दा और ज्यादा जटिल हो गया है। बता दें कि भारत के अपने नए राजनीतिक नक्शे के जारी करने के बाद नेपाल ने भी नया नक्शा जारी किया था और विवादित सीमाई इलाकों को अपना बताया था। विदेश मंत्री ग्यावली ने संवाददाताओं से कहा कि विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच वर्ष 1816 में हुई सुगौली की संधि को भारत के साथ नेपाल की सीमा के सीमांकन का मुख्य आधार माना गया है। उन्होंने कहा कि समिति के गठन का उद्देश्य सीमा वार्ता में नेपाल के पक्ष को तैयार करना था और उन्होंने इसे बखूबी अंजाम दिया।
सचिव स्तर की वार्ता से बनेगी बात
ग्यावली ने कहा कि समिति ने नेपाल के दावे को साबित करने के संबंध में कई साक्ष्य एकत्र किए हैं। उन्होंने कहा कि नेपाल सरकार किसी भी समय भारतीय पक्ष से चर्चा करने को तैयार है। समिति ने अपने अध्ययन के दौरान इतिहासकारों, पूर्व सरकारी अधिकारियों, राजनयिकों, सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों, नौकरशाहों, राजनेताओं और पत्रकारों सहित विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित हस्तियों का साक्षात्कार किया। उधर नेपाली अधिकारियों का कहना है कि इस विवाद के समाधान के लिए विदेश सचिव स्तर की वार्ता कम से कम बुलाए जाने की जरूरत है।