जल्द ही टीकाकरण अभियान में शामिल होगी जायडस कैडिला की वैक्सीन…

जायडस कैडिला की कोरोना रोधी वैक्सीन को जल्द ही टीकाकरण अभियान में शामिल किया जाएगा। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआइ) इस संबंध में योजना तैयार करने के लिए बैठक करेगा। तीन डोज की यह वैक्सीन 12-18 वर्ष आयु के किशोरों को भी दी जाएगी। एनटीएजीआइ के चेयरमैन डा. एनके अरोड़ा ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक देश में 12-18 वर्ष आयुवर्ग के किशोरों की संख्या लगभग 12 करोड़ हैं, जिनमें से लगभग एक करोड़ पहले से किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं।

डा. अरोड़ा ने कहा कि एनटीएजीआइ की जल्द होने वाली बैठक में लाभार्थियों की प्राथमिकता भी तय की जाएगी क्योंकि यह वैक्सीन किशोरों के साथ ही बड़े लोगों को भी लगाई जाएगी। डॉ. एन के अरोड़ा ने बताया कि कोविड रोधी टीकाकरण अभियान में तीन-खुराक वाली ZyCoV-D वैक्सीन को लाने का रोडमैप तैयार करने के लिए जल्‍द एनटीएजीआई की बैठक आयोजित की जाएगी। इस बैठक में ZyCoV-D वैक्सीन के लाभार्थियों की प्राथमिकता को लेकर मंथन होगा क्योंकि यह टीका किशोरों और वयस्‍कों दोनों के लिए स्वीकृत है

डॉ. अरोड़ा ने कहा कि इस बैठक का मकसद प्राथमिकता सूची विकसित करना है जिसमें 12-18 वर्ष की आयु के किशोरों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। एनटीएजीआई ZyCoV-D वैक्सीन को कोविड-19 प्रतिरक्षण अभियान में शामिल करने के लिए प्रोटोकॉल और रूपरेखा प्रदान करेगा। वहीं जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) का कहना है कि इस वैक्‍सीन के तीसरे चरण का ट्रायल 28 हजार से अधिक लोगों पर किया गया। इस परीक्षण में यह वैक्‍सीन 66.6 फीसद प्रभावी पाई गई। कोरोना वैक्सीन के लिए देश में यह सबसे बड़ा ट्रायल था। बता दें कि पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में भी इस वैक्‍सीन को सुरक्षित और कारगर पाया गया था।

बता दें कि हाल ही में दवा महानियंत्रक ने जायडस कैडिला की तीन डोज वाली कोरोना रोधी जायकोव-डी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी थी। इसके साथ ही देश में पहली कोविड-19 वैक्सीन के 12 से 18 साल आयु के किशोरों को लगाए जाने का रास्‍ता साफ हो गया है। बिना सुई वाली यह दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्सीन है। जाइकोव-डी सार्स-सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन का निर्माण करती जिससे शरीर को कोरोना के खिलाफ मजबूत प्रतिरक्षा मिलती है। इस वैक्‍सीन को लगाने के लिए नुकीली सुई का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा बल्कि इसे फार्माजेट तकनीक से लगाया जाएगा।

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