पहले जिस चूल्हे की राख से साफ किए जाते थे बर्तन, अब बिक रही हैं बादाम के भाव

लकड़ी के कोयले या चारकोल की राख के बारे में आपने जरूर सुना होगा. कुछ वर्षों पहले तक चूल्हे में बची राख को बेकार मानकर फेंक दिया जाता था. ग्रामीण इलाकों में इस राख को बर्तन साफ करने के काम में लाया जाता रहा है. लेकिन अब डिजिटल युग है तो इस राख का दर्जा भी बदल गया है. अब इस राख को आकर्षक पैकिंग में ई-कॉमर्स साइट्स पर ‘डिश वाशिंग वुड एश’ के नाम से बेचा जा रहा है. 

दरअसल, इस राख की मार्केंटिंग डिशवाशिंग वुड एश के नाम से हो रही है. अब इसकी कीमत भी जान लीजिए. इसकी कीमत 250 ग्राम के लिए 399 रुपए बताई गई है लेकिन डिस्काउंट के बाद इसे 160 रुपए प्रति 250 ग्राम दिया जा रहा है. यानि डिस्काउंट के बाद भी एक किलोग्राम राख की कीमत ग्राहक को 640 रुपए पड़ेगी.  

ई-कॉमर्स वेबसाइट्स पर राख को बर्तन धोने के लिए कारगर बताने के साथ इसे पौधों के लिए बेहतर उर्वरक (फर्टिलाइजर) भी बताया जा रहा है. इस तरह के उत्पाद बनाने वाली कंपनियां अधिकतर तमिलनाडु से हैं.  

हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि राख बर्तन साफ करने में इसलिए कारगर है क्योंकि इसमें कार्बन होता है. राख सिर्फ बर्तनों में लगी गंदगी और तेल के निशानों को साफ कर सकती है, उन्हें अधिक चमकाने में नहीं. ये सुरक्षित भी है क्योंकि इसमें कैमिकल की मौजूदगी नहीं होती. राख में पोटेशियम होता है इसलिए इसका उर्वरक के तौर पर भी खेतों में इस्तेमाल किया जा सकता है. 

Back to top button