कानपुर पुलिस की एसओजी टीम ने जालसाज गिरोह का पर्दाफाश करते हुए चार लोगों को किया गिरफ्तार

बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को लाखों को चूना लगाने वाला मास्टर माइंड जालसाज एक अच्छे घर से ताल्लकु रखता है। उसने जालसाजी का खेल अपने दोस्तों के साथ मिलकर जरूरतों को पूरी करने के लिए शुरू किया और धीरे धीरे जरायम के काले कारनामे में घुस गया। सेंट्रल एक्साइज कर्मी काे भी पता नहीं चला कि आखिर पढ़े लिखे बेटे ने कब से गिरोह बना लिया। पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि शादी के बाद नौकरी से जरूरतें पूरी नहीं हुईं तो उसने जालसाजी का रास्ता अपना लिया।

डीसीपी पश्चिम बीबीजीटीएस मूर्ति ने पुलिस टीम के साथ शनिवार को एक गिरोह का पर्दाफाश किया, जो बैंकों और फाइनेंस कंपनियों को लाखों का चूना लगा चुका है। पुलिस टीम ने पनकी इंडस्ट्रियल एरिया से नजीराबाद की रंजीत नगर एक्साइज कालोनी निवासी शुभम सिंह उर्फ कुनाल, नौबस्ता पशुपति नगर निवासी अमन गुप्ता, गोविंद नगर की केनाल कालोनी निवासी आशीष द्विवेदी और सीसामऊ के नूर मोहम्मद का हाता निवासी शिवम मौर्य उर्फ प्रिंस को गिरफ्तार किया। उनके कब्जे से 14 स्कूटी और दो बाइक बरामद किए हैं। ये गिरोह फर्जी दस्तावेजों से बैंक और फाइनेंस कंपनी से लोन पास कराकर ठगी का काम करता था। इस गिरोह का मुख्य सरगना एक्साइज कालोनी में रहने वाला कुनाल है।

कुनाल के पिता सेंट्रल एक्साइज कर्मी

एक्साइज कालोनी रंजीत नगर में कुनाल परिवार के साथ रहता है। उसके पिता सेंट्रल एक्साइज विभाग में कर्मचारी हैं। पूछताछ में सामने आया कि शादी के बाद उसकी जरूरतें बढ़ गई थीं, हालांकि वह नौकरी करता था लेकिन खर्चे पूरे नहीं कर पा रहा था। पिता से भी खास सहयोग नहीं मिलने पर कुनाल ने जरायम का रास्ता अपनाया। नौकरी से ज्यादा कमाई देखकर फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया और पुराने दोस्तों शिवम व अमन को भी शामिल कर लिया। फर्जी दस्तावेज से लोन लेने का काम आसान लगा क्योंकि उन्हें जल्दी फंसने का डर नहीं था। उसने बताया कि हमे लगता था कि लोन लेने वाला ग्राहक फंसेगा क्योंकि कंपनी में उसके दस्तावेज जमा हैं।

अपनी कंपनी में की धोखाधड़ी

एचडीवी कंपनी में सीनियर सेल्स मैनेजर कुनाल बीएससी पास है। उसने अपनी ही कंपनी में फर्जीवाड़ा करके ज्यादातर लोन का खेल किया, जिसमें कुछ कर्मचारियों की भी मिलीभगत सामने आई है। वहीं बीए पास आशीष आइडीएफसी बैंक में भी नौकरी कर चुका था। फ्राड के मामले में उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। वहीं अमन की आर्थिक हालात बेहद कमजोर है और पिता राजमिस्त्री का काम करते हैं। ग्रेजुएट पास करने के बाद नौकरी की बजाय धोखाधड़ी के धंधे में लग गया। इंटर पास शिवम जनसेवा केंद्र संचालित करता था और शिकार तलाशते थे।

इस तरह करते थे धोखाधड़ी

कुनाल ने बताया कि लोगों को टूव्हीलर पर 20-25 फीसद छूट या फिर 90 हजार की गाड़ी 70 हजार रुपये में दिलाने की बात कहते थे। इसपर उससे आधार, निवास प्रमाणपत्र की कापी लेकर शिवम फर्जी प्रपत्र तैयार कर देता था। फोटो, नाम व पता भी बदला जाता था। शिकार से ली गई रकम का कुछ हिस्सा वाहन एजेंसी में डाउन पेमेंट करते और बाकी रकम फाइनेंस कंपनी से लोन जारी करा देते थे। ग्राहक को वाहन दिलाने के दो-तीन माह तक किस्त देते और फिर बंद कर देते थे। किस्त बंद होने पर फाइनेंस कंपनी के रिकवरी एजेंट गलत पता होने के कारण ग्राहक को तलाश नहीं पाते थे।

पत्नी के नाम पर स्कूटी व बाइक फाइनेंस

तीन साल में गिरोह ने 70 वाहनों का लोन कराकर रकम हड़पी है। सरगना कुनाल ने पत्नी के नाम पर भी बाइक व स्कूटी फाइनेंस कराई थी, जिसे बाद में दूसरों को बेच दी थी। अब बिना सत्यापन लोन जारी कराने वाले फाइनेंस कंपनियों के कर्मचारियों की तलाश की जा रही है।

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