आम दवाइयों के साइड इफेक्ट से आप हो सकते है डिप्रेशन के शिकार

किसी दवाई का साइड इफेक्ट कितना खतरनाक हो सकता है? आपके जेहन में त्वचा पर लाल दाने, सिरदर्द या उल्टी जैसी चीजे आती होंगी लेकिन अमरीका के एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि सबसे ज्यादा इस्तेमाल में आने वाली दवाइयों से अवसाद यानी डिप्रेशन का खतरा बढ़ सकता है। अध्ययन के मुताबिक, दिल की बीमारियों के लिए दी जाने वाली दवाइयां, गर्भनिरोधक दवाइयां और कुछ दर्दनिवारक दवाइयों के साइड-इफेक्ट से अवसाद हो सकता है।आम दवाइयों के साइड इफेक्ट से आप हो सकते है डिप्रेशन के शिकार

अध्ययन में भाग लेने वाले 26,000 लोगों में से एक तिहाई में अवसाद के लक्षण पाए गए। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन की स्टडी में अमरीका के 18 या उससे ज्यादा उम्र के लोगों से बात की गई। इन लोगों ने 2005 से 2014 के बीच कम से कम एक तरह की डॉक्टर की लिखी दवाई ली थी। पाया गया कि डॉक्टर की लिखी इन दवाइयों में से 37 फीसदी में अवसाद को संभावित साइड इफेक्ट बताया गया है।

अध्ययन के दौरान इन लोगों में अवसाद की दर ज्यादा पाई गई –
एक तरह की दवाई लेने वाले 7 फीसदी लोग
दो तरह की दवाई लेने वाले 9 फीसदी लोग
तीन या उससे ज्यादा दवाइयां लेने वाले 15 फीसदी लोग
अमरीका में करीब 5 फीसदी लोग अवसाद से पीड़ित हैं
 
स्टडी की मुख्य लेखक डिमा काटो ने कहा- कई लोगों को हैरानी होगी कि उनकी दवाइयों का भले ही मूड ,घबराहट या डिप्रेशन से कोई लेना देना न हो लेकिन फिर भी उन्हें दवाइयों की वजह से अवसाद के लक्षण महसूस हो सकते हैं और अवसाद भी हो सकता है। हालांकि ये साफ नहीं है कि क्या दवाइयां खराब मूड की वजह हो सकती हैं। किसी भी कारण से बीमार होने पर आपको उदास महसूस हो सकता है। यह भी हो सकता है कि अध्ययन में भाग लेने वाले लोग पहले कभी डिप्रेशन का शिकार रहे हों। विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि अध्ययन में दवाइयों और अवसाद के खतरे की बात कही गई है लेकिन इसके कारण और असर का जिक्र नहीं है।

रॉयल कॉलेज ऑफ साइकैट्रिस्ट के प्रोफेसर डेविड बाल्डविन कहते हैं- ‘जब किसी को कोई शारीरिक बीमारी होती है तो दिमागी तनाव होना आम है। ऐसे में ये कोई हैरानी की बात नहीं है कि दिल और गुर्दे की बीमारी के लिए ली जाने वाली दवाइयों को अवसाद के खतरे से जोड़कर देखा जाए।’ हालांकि अमेरिका में हुए इस अध्ययन के सारे पहलू दुनिया के बाकी हिस्सों पर लागू नहीं होते। खतरा कितना होगा, ये तो दवाई पर निर्भर करता है। गर्भनिरोधक दवाइयों से अवसाद एक आम साइड-इफेक्ट हो सकता है लेकिन दूसरी दवाइयों के साथ यह इतना आम नहीं है। दस में से एक व्यक्ति को आम तौर पर साइड-इफेक्ट होता है, जबकि दस हजार में से एक को कभी-कभार साइड-इफेक्ट हो जाता है। इसकी जानकारी दवाई के पैकेट के अंदर दिए जाने वाले कागज पर लिखी होती है और ऑनलाइन सर्च करके भी इस बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है।
 
रॉयल फार्मास्युटिकल सोसायटी के प्रोफेसर डेविड टेलर कहते हैं- ‘ये भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि क्या दवाई की वजह से अवसाद होने का कोई व्यावहारिक स्पष्टीकरण दिया गया है। उदहारण के लिए गर्भनिरोधक गोली का हार्मोन लेवल और मूड से सीधा संबंध है लेकिन दिल की बीमारी जैसी दवाइयों के मामले में ये पता लगाना मुश्किल है कि अवसाद का कारण दवाई है या कोई दूसरी स्थिति।प्रोफेसर टेलर कहते हैं- ‘अभी हम इस बारे में पता लगाने में इतने अच्छे नहीं है। हम नहीं बता सकते कि अवसाद का कारण दवाई है या कोर्स के समय की कोई और वजह जिसका दवाई से कोई लेना देना नहीं है।’ लेकिन जिन लोगों को दवाई लेने के बाद अवसाद के लक्षण महसूस हुए हैं, उन्हें डॉक्टर से मिलकर अपनी समस्या के बारे में बताना चाहिए। विशेषज्ञ डॉक्टर ही आपको इस पर सही सलाह दे सकते हैं।

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