इस उपग्रह में पृथ्वी से ज्यादा पानी, सौ किलोमीटर ऊंचे हैं फव्वारे

नैनीताल: हमारे सौर मंडल की उत्पत्ति व विकास को समझने की खोज में वैज्ञानिकों ने एक और कड़ी जोड़ ली है। यह अहम कड़ी बृहस्पति के उपग्रह यूरोपा की सतह से पानी के निकलते फव्वारे के रूप में मिली है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस खोज से सौरमंडल के कई अन्य ग्रहों अथवा पिंडों में पानी विभिन्न प्रकार से मौजूद होने की पुष्टि होती है।इस उपग्रह में पृथ्वी से ज्यादा पानी, सौ किलोमीटर ऊंचे हैं फव्वारे

भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरू के खगोल वैज्ञानिक प्रो.आरसी कपूर ने बताया कि हमारे चंद्रमा से कुछ ही छोटे यूरोपा में जलवाष्प की खोज वर्ष 2003 में हो चुकी थी। परंतु, इसका वास्तविक पता तब चला, जब हाल ही में अंतरिक्ष स्थित दूरबीन हव्वल ने यूरोपा के चित्र लिए। इन चित्रों में काफी उंचाई तक उठते पानी के फव्वारे नजर आते हैं। जिनकी उंचाई सौ किमी तक आंकी गई हैं। 

यूरोपा के बारे में जानने लिए वर्ष 1995 में नासा ने गैलीलियो नामक अंतरिक्ष यान भेजा था। यह यान 2003 तीन तक यूरोपा की छानबीन में जुटा रहा। तबमिली तस्वीरों में इन फव्वारों पर ध्यान नही दिया गया। अब हव्वल से मिली तस्वीरों ने वैज्ञानिकों का ध्यान फव्वारों की ओर खींचा और यह सच्चाई सामने आई। 

उपग्रह में है पृथ्वी से ज्यादा जल 

यूरोपा बर्फीला उपग्रह है। इसकी  सतह बर्फ से ढकी हुई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यूरोपा के भीतर पानी का अकूत सागर हैं। जिसमें पृथ्वी से भी अधिक जल हो सकता है। इस खोज से यह भी पता चलता है कि सौरमंडल के अन्य ग्रहों में भी पानी के भंडार हो सकते हैं।  अब नासा यूरोपा के पानी की जांच के लिए अगला मिशन तैयार करने में जुट गया है। इस मिशन का नाम क्लिपर रखा गया है। मिशन के तहत क्लिपर यान यूरोपा के फव्वारों के बीच से होकर गुजरेगा और पानी के सैंपल लेगा। 

ग्रहों में पानी को लेकर महत्वपूर्ण है यह खोज 

आर्यभटट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे का कहना है कि सौरमंडल की उत्पत्ति व विकास को लेकर कई रहस्य आज भी बरकरार हैं। इस तरह की खोजों के जरिए ही ब्रहमांड के गूढ़ रहस्यों को समझा जा सकेगा। यूरोपा में मिले पानी की खोज वैज्ञानिक जगत के लिए बड़ी उपलब्धि हैं। 

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