RBI ने दी राहत, नहीं बंद होंगे 90 करोड़ डेबिट-क्रेडिट कार्ड

फेस्टिव सीजन में 90 करोड़ से अधिक डेबिट व क्रेडिट कार्ड के बंद होने का खतरा फिलहाल टल गया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने कंपनियों को राहत देने के बजाए आम जनता को बड़ी राहत दे दी है। हालांकि विदेशी कार्ड पेमेंट गेटवे कंपनियों पर कुछ बंदिशें लगाई हैं।  आरबीआई कंपनियों को कुछ दिशा-निर्देश दे सकता है।

इन कंपनियों के हैं देश में सबसे ज्यादा कार्ड

देश में सबसे ज्यादा डेबिट व क्रेडिट कार्ड मास्टरकार्ड और वीजा के जारी होते हैं। इन कंपनियों का सर्वर देश के बाहर स्थित है। आरबीआई विदेश में स्थित सर्वर को देश में स्थापित करने के लिए कंपनियों को काफी समय से कह रहा है।

इन कंपनियों का कहना है कि वक्त तो कम है ही, उन्हें नई पॉलिसी की पूरी जानकारी भी नहीं है। डाटा स्थानीय स्तर पर लागू करने के दौरान व्यापारियों को ज्यादा सावधान रहना होगा और उपभोक्ताओं को नए सिरे से कागजात देने होंगे। 

समर्थन में घरेलू कंपनियां 

इस बीच, पेटीएम और फोनपे जैसी घरेलू पेमेंट कंपनियों ने आरबीआई के कदम का समर्थन किया है। पेटीएम ने कहा कि अहम डाटा की जानकारी किसी भी सूरत में देश से बाहर नहीं जानी चाहिए, प्रोसेसिंग के लिए भी नहीं। वहीं फोनपे ने कहा कि हमने आरबीआई को सूचित कर दिया है कि हमारा डाटा सिस्टम पूरी तरह स्थानीय है। हमने समयसीमा के भीतर इस काम को पूरा किया है। 
सूत्रों के मुताबिक वित्तीय डाटा स्टोरेज पर आरबीआई रियायत नहीं देगा। हालांकि आरबीआई ने तारीख बढ़ाने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। डाटा सिक्योरिटी पर आरबीआई का रुख अभी भी सख्त है। आरबीआई सुरक्षा के लिहाज से ये कदम उठाना चाहता है।

80 फीसदी कंपनियों ने मानी शर्त

अमेजन, अलीबाबा और व्हाट्सऐप समेत करीब 80 फीसदी कंपनियों ने पेमेंट संबंधी आंकड़े देश में ही रखने (डाटा स्थानीयकरण) की बैंक की शर्तों को पूरा कर लिया है। आरबीआई मंगलवार से केस दर केस के आधार पर चीजों को देखेगा।

हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि शर्तों का अनुपालन नहीं होने पर कोई कार्रवाई करेगा या जुर्माना लगाएगा। सभी कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि उनके द्वारा पेमेंट संबंधी डाटा को केवल भारत में ही स्टोर करना होगा।

गूगल ने मांगा और समय 

इस बीच, गूगल भी डाटा स्थानीयकरण की शर्त मानने को तैयार हो गया है, लेकिन इसे पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय मांगा है। इस बीच, कुछ लोगों का मानना है कि इस फैसले से कंपनियों के भारत में बिजनेस करने पर नकारात्मक असर पड़ेगा। 

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