जाने गुरू प्रदोष व्रत का शुभ महूर्त और भगवान शिव की पूजन विधि

आज प्रदोष व्रत । यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। तदानुसार, मार्गशीर्ष यानी अगहन महीने में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 16 दिसंबर को है। इस दिन देवों के देव महादेव और माता पार्वती की पूजा-उपासन करने का विधान है। इस बार मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी गुरुवार को है। अत: यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। धार्मिक ग्रंथों में निहित है कि गुरु प्रदोष व्रत करने से साधक को शत्रुओं पर विजयश्री प्राप्त होती है और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी पापों का नाश होता है। आइए, गुरू प्रदोष व्रत महूर्त और भगवान शिव की पूजा विधि जानते हैं-

गुरु प्रदोष व्रत मुहूर्त

हिंदी पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी 15 दिसंबर दिन बुधवार को देर रात 02 बजकर 01 मिनट पर शुरु होक 17 दिसंबर दिन शुक्रवार को प्रात: 04 बजकर 40 मिनट पर समाप्त होगी। अत: साधक गुरुवार को दिनभर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-उपासना कर सकते हैं।

गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि

गुरुवार यानी त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सबसे पहले भगवान शिवजी को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान-ध्यान कर आमचन कर व्रत संकल्प लें। अब सफेद वस्त्र धारण करें। इसके बाद सबसे पहले सूर्यदेव को जल का अर्ध्य दें। अब पूजा गृह में चौकी पर भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर उनकी पूजा जल, काले तिल, बिल्व पत्र, भांग, धतूरा, फल, फूल, दूध, दूर्वा, धूप-दीप आदि वस्तुओं से करें। साथ ही प्रदोष व्रत कथा कर भगवान भोलेनाथ की आरती अर्चना करें। अंत में ओम नमः शिवाय मंत्र का एक माला जाप करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन नित्य दिनों की तरह पूजा पाठ कर व्रत खोलें।

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