कठुआ गैंगरेप: छलका पिता का दर्द, रोते हुए कही ये बड़ी बात…

जम्मू कश्मीर के कठुआ में तीन माह पहले एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ मानवती की सारी हदें पार कर मंदिर के अंदर उसके साथ बलात्कार कर जान से मार दिया गया। पत्रकारों से बातचीत कर मासूम के पिता ने बड़े ही दर्द, गुस्सा और बेबसी के साथ सवाल करते हुए कहा एक आठ साल की मासूम बच्ची जो दायां हाथ और बायां हाथ न पहचानती हो, उसके बर्बर बलात्कार और हत्या के बाद क्या हिंदू-मुस्लिम करना उचित है? 

एक अखबार से बातचीत करते हुए 35 साल के पिता ने रोते हुए कहा उन्हें  बदला लेना ही था तो वे किसी और से लेते, एक निर्दोष बच्ची ने क्या बिगाड़ा था। उस नन्ही सी जान को तो ये तक नहीं पता था कि उसका दायां हाथ कौन है और बायां हाथ कौन-सा है,कभी उसने ये नहीं समझा कि हिंदू क्या होता है और मुसलमान क्या होता है। उनके तीन बच्चे थे जिनमें से आसिफा सबसे छोटी थी। दो बेटे है एक सक्षा 11वीं और छठी क्लास में  पढ़तें हैं। बच्चे पढऩे के लिए पास के गांव में जाते थे। आसिफा को उन्होंने अपनी बहन से गोद लिया था। नम आखों के साथ पितने ने आगे कहा कि बच्ची सारी वक्त अपनी मां के साथ रहती थी और जब मैंन बाहर जाता था तो वो भी मेरे साथ बाहर जाने के लिए जिद्द करती थी। 

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जनवरी के पहले हफ्ते में सांवा कस्बे में अपनी मां के साथ आखिरी बार जाना साबित हुआ। आसिफा अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए कपड़े लेने गई थी। 10 जनवरी को उसका अपहरण कर लिया गया और चार दिन बाद ही शादी थी। उसकी मां चाहती थी कि इस साल गर्मियों में उसे किसी निजी स्कूल में पढऩे के लिए भेजा जाए।  पिता ने आगे कहा कि हमने कभी ये नहीं सोचा था कि हम उसे पढ़ा लिखाकर डॉक्टर या टीचर बनाएंगे। हम तो बस चाहते थे कि लड़की सुंदर है पढ़ लेगी तो किसी अच्छे घर में उसकी शादी हो जाएगी। 

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