MP: इस किले के अंदर मौजूद है नॉन लिविंग टेंपल, बाबर ने की थी तोड़ने की कोशिश

ग्वालियर. मध्यप्रदेश का ग्वालियर शहर अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहां बने किले की तलहटी में 26 गुफाएं हैं। जिनमें प्राचीन जैन प्रतिमाएं बनी हैं। इसकी तलहटी में हमेशा साफ पानी बहता रहता है। ये बावड़ी एक ही पत्थर की बनी है। इस टूरिस्ट प्लेस को देखने के लिए रोजाना 100 से ज्यादा टूरिस्ट आते हैं। 27 सितंबर को वर्ल़्ड टूरिज्म- डे है।
इस किले के अंदर मौजूद है नॉन लिविंग टेंपल, बाबर ने की थी तोड़ने की कोशिश

 क्या है पत्थर की बावड़ी और किसने किया इन प्रतिमाओं का निर्माण…

– जैन गुफाओं के पास एक पत्थर की बावड़ी बनी है। भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण ने सुरक्षा की दृष्टि से बावड़ी पर चैनल लगाकर ताला डाल दिया है।
– आज भी इस बावड़ी से हर वक्त साफ पानी बहता रहता है। इसके अंदर साफ पानी की झीरें हैं, जिनसे यहां पानी भरता रहता है। यह बावड़ी गुफा नम्बर एक में है।

26 गुफाओं में जैन तीर्थंकर

– एक पत्थर की बावड़ी स्थल पर 26 गुफाएं बनी हुई हैं। उनमें जैन तीर्थंकर की बड़ी और छोटी प्रतिमाएं हैं। 
– यहां पर उन्हें खड़े और बैठे हुआ दर्शाया गया है। प्रतिमाओं के पाद-पीठ पर शिलालेख खड़े हुए हैं। 
– मुगल शासनकाल के दौरान बावर ने इन प्रतिमाओं को खंडित किया था।

सुंदर कलाकृतियां

– अतीत में मूर्तिकारों ने गोपाचल पर्वत पर सुंदर प्रतिमाओं का निर्माण किया था। 
– प्रतिमाओं के ऊपर की कलाकृति आज भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। 
– यहां 26 गुफाओं के दूसरे छोर पर हनुमान मंदिर भी मौजूद है।

तोमर काल में निर्माण

– किले की तलहटी क्षेत्र में बनी गुफाओं में जैन तीर्थंकर प्रतिमाओं का निर्माण तोमर शासक राजा डूंगर सिंह 1425-59 ईं. के समय का बताया जाता है। 
– इसके अभिलेख भारतीय पुरातत्व एवं सर्वेक्षण के पास मौजूद हैं।

नेशनल प्रोटेक्टिव मोनुमेंट

– यह स्मारक राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक है। इसे एएसआई की भाषा में नॉन लिविंग टेंपल कहा जाता है। 
– इसको पुरातत्व विभाग ने वर्ष 1904 में राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक घोषित किया था। वर्ष 1951 की सूची में इसका नाम आज भी मौजूद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button