ब्लैक फंगस को लेकर सामने आई ये होश उड़ा देने वाली खबर, अचानक बढ़ जाएगे…

देश में कोरोना संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं था कि ब्लैक फंगस सामने आ गया है। म्यूकोर्मिकोसिस के केस भी बड़ी संख्या में सामने आ रहे हैं। यह बेहद खतरनाक बीमारी है। इसमें मरीजों की आंखों व जबड़े शरीर से अलग करना पड़ रहा है। वहीं कई केस में रोगियों की मौत भी हो रही है। अब वैज्ञानिक कोविड 19 के साथ ब्लैक फंगस के अध्ययन में जुट हुए हैं। इस बीच एक स्टडी में पता चला है कि ब्लड शुगर के बढ़ने और स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल के कारण बीमारी तेजी से बढ़ रही है। यह अध्ययन सितंबर से दिसंबर 2020 देश के 16 सेंटर्स में भर्ती ब्लैक फंगस के मरीजों से पता चला है।

अहमदाबाद के तीन हॉस्पिटल और सूरत के एक अस्पताल समेत 16 सेंटर्स में 287 म्यूकोर्मिकोसिस के मरीजों पर अध्ययन किया गया। इन सेंटर्स में नई दिल्ली और भोपाल एम्स, सर गंगा राम अस्पताल और मेदांता अस्पताल भी शामिल थे। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन जर्नल में मल्टीसेंटर एपिडेमियोलॉजिकल स्टडी ऑफ कोरोनावायरस डिजीज-एसोसिएटेड म्यूकोर्मिकोसिस इंडिया नाम से स्टडी पब्लिश हुआ है।

एक सिंतबर से 31 दिसंबर 2020 के बीच मरीजों पर अध्ययन किया गया। 287 मरीजों में से 187 में ब्लैक फंगस के लक्षण पाए गए। सेंटर्स में कुल कोरोना संक्रमित मरीजों में 0.3 फीसद में म्यूकोर्मिकोसिस पाया गया। वहीं छह सप्ताह में 38 प्रतिशत मृत्यु दर रही। अगले 12 हफ्तों में 46 फीसद की बढ़ोतरी हुई। स्टडी में सामने आया कि 21 फीसद मरीजों में कोविड के बाद डायबिटीज की समस्या सामने आई। संक्रामक रोग विशेषज्ञ और स्टडी के सह-लेखक डॉक्टर अतुल पटेल ने कहा कि ब्लैक फंगस मरीजों में डायबिटीज की समस्या सबसे अधिक थी। 21 फीसद रोगियों में कोरोना संक्रमण के बाद डायबिटीज पता चला। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य पता लगाना है कि कितने स्टेरॉयड से मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ सकता है। वहीं डॉ. सुरभि मदान ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर के कारण मरीजों की संख्या बहुत ज्यादा है। हमने कोविड के कई ऐसा मरीजों को देखा, जिनमें अन्य कोई बीमारी नहीं थी। घर पर किए इलाज में स्टेरॉयड के इस्तेमाल से समस्या उत्पन्न हुई।

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