देश के नए चीफ जस्टिस के पास न गाड़ी है और न ही घर, ये हो सकता हैं बड़ा कारण

आम धारणा है कि सुप्रीम कोर्ट के सफल वरिष्ठ वकील एक दिन में 50 लाख रुपये से भी ज्यादा कमा लेते हैं. उनकी तुलना में सुप्रीम कोर्ट के एक जज को मोटेतौर पर एक लाख रुपये महीना वेतन मिलता है. हालांकि ये भी सही है कि भत्तों और आवास की सुविधा के साथ-साथ उनको कई सहूलियतें मिलती हैं. संभवतया इसी कड़ी में अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के विदाई समारोह में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों के वेतन में तिगुना बढ़ोतरी होनी चाहिए.
इस संदर्भ में देश के 46वें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की संपत्तियों पर यदि नजर डाली जाए तो उनके पास सोने का कोई आभूषण नहीं है. उनकी पत्नी के पास जो सोने के आभूषण हैं वे शादी के वक्त परिजनों-रिश्तेदारों, मित्रों से मिले थे. उनके पास कोई निजी वाहन नहीं है. हालांकि इसका एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि करीब दो दशक पहले जब वह जज बने तब से ही उनको आधिकारिक रूप से गाड़ी मुहैया कराई गई है. स्टॉक मार्केट में उनका कोई निवेश नहीं है. इसके साथ ही जस्टिस गोगोई पर कोई देनदारी, लोन, ओवरड्रॉफ्ट नहीं है. 2012 में जस्टिस रंजन गोगोई ने अपनी संपत्तियां सार्वजनिक की थीं.
जस्टिस गोगोई और पत्नी की एलआईसी पॉलिसी को मिलाकर उनके पास तकरीबन 30 का बैंक बैलेंस है. इस साल जुलाई में उन्होने यह भी घोषित किया कि 1999 में गुवाहाटी हाई कोर्ट का जज बनने से पहले उन्होंने वहां पर एक प्लॉट खरीदा था. उसको इस साल जून में 65 लाख रुपये में किसी को बेच दिया. उन्होंने खरीदने वाले का नाम भी बताया था. इसके साथ ही यह भी घोषित किया कि 2015 में उनकी मां ने जस्टिस गोगोई और पत्नी के नाम गुवाहाटी के पास जपीरोगोग गांव में एक प्लॉट ट्रांसफर किया था.