पांच साल में सबसे महंगा हुआ पेट्रोल, डीजल रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा

पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से आम नागरिक परेशान है। राजधानी दिल्ली में शनिवार को पेट्रोल की कीमत 74.21 रुपये प्रति लीटर हो गई। वहीं, डीजल 65.46 रुपये लीटर बेचा जा रहा है। इस तरह दिल्ली में पेट्रोल पांच साल (सर्वकालिक रिकॉर्ड स्तर सितंबर 2013 में 74.10 रुपये प्रति लीटर) में सबसे महंगा हो गया है, जबकि डीजल तो रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है।

इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक, कोलकाता में पेट्रोल 76.91 रुपए लीटर, मुंबई में 82.06 रुपए और चेन्नई में 76.99 रुपए लीटर हो गया है। वहीं कोलकाता में डीजल 68.16 रुपए लीटर तो मुंबई में 69.70 रुपए और चेन्नई में 69.06 लीटर बेचा जा रहा है।

इस साल अप्रैल में ही पेट्रोल के दाम अब तक 50 पैसे बढ़ चुके हैं। डीजल में भी करीब 90 पैसे की बढ़ोतरी हुई है। इस साल के शुरुआत 4 माह में पेट्रोल के दाम करीब 4 रुपए बढ़ चुके हैं। डीजल के कीमतें 5-6 रुपए तक बढ़ चुकी हैं।

कच्चे तेल के कारण बढ़े दाम

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 74 डॉलर प्रति बैरल (प्रति बैरल करीब 158 लीटर) के करीब पहुंच गई। इंडियन बास्केट में भी क्रूड के भाव 70 डॉलर के आसपास बने हुए हैं। पिछले दिनों इस बात की चर्चा थी कि इंडियन बास्केट में क्रूड के दाम 65 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने पर उत्पाद शुल्क में कटौती पर विचार किया जा सकता है। हालांकि बाद में सरकार ने ऐसी किसी संभावना से इन्कार कर दिया था। वित्त मंत्रालय के सूत्र भी बताते हैं कि खजाने की मौजूदा हालत को देखते हुए सरकार एक्साइज ड्यूटी में राहत देने की स्थिति में नहीं है।

पेट्रोल व डीजल के बढ़ते दामों ने सरकार पर भी दबाव बढ़ा दिया है। बढ़ती कीमतों से आम जनता की परेशानियों को देखते हुए एक्साइज ड्यूटी में कमी कर उपभोक्ताओं को राहत देने की मांग होने लगी है। जानकार मान रहे हैं कि कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं तो महंगाई बढ़ने का भी खतरा ज्यादा होगा। कच्चा तेल ही नहीं बल्कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट भी पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत को हवा दे रही है। दरअसल रुपया गिरने से आयातित कच्चे तेल का देश में मूल्य और बढ़ जाता है।

विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना

पेट्रोल-डीजल की बढ़ी कीमतों के बाद विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधा। पूर्व वित्तमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा, भाजपा दावा करती है कि 22 राज्यों में उसकी सरकार है। ऐसा है तो एनडीए सरकार पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के तहत क्यों नहीं लाती?

उन्होंने आगे कहा, चार साल पहले कच्चे तेल के दाम 105 डॉलर प्रति बैरल थे। आज क्रूड इससे तो सस्ता ही है। तो क्यों पेट्रोल और डीजल की कीमतें मई 2014 की कीमतों के मुकाबले ज्यादा हैं?

ऐसे तय होती है पेट्रोल-डीजल की कीमत

16 जून 2016 से पहले पेट्रोल की कीमतें हर महीने में दो बार तय होती थीं। महीने की 15 या 16 तारीख को और महीने की 30 या 31 तारीख को। हालांकि अब नियमित आधार पर पेट्रोल-डीजल की कीमतें रोजाना बदल रही हैं। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में क्रूड और डॉलर की स्थिति की भी काफी अहम भूमिका होती है।

एक लीटर पेट्रोल में शामिल होते हैं इतने टैक्स

सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी: इसे बीते साल 9.48 रुपए प्रतिलीटर से बढ़ाकर 21.48 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। सरकार इसमें समय समय पर इजाफा और कटौती करती रहती है। अक्टूबर 2017 में इसमें दो रुपए प्रति लीटर की कटौती कर दी गई थी। वहीं डीजल में ड्यूटी में 4 बार से ज्यादा बार इजाफा किया गया और यह 3.56 रुपए प्रति लीटर के स्तर से बढ़कर 17.33 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गया। वहीं अक्टूबर 2017 में इसमें भी 2 रुपए प्रति लीटर की कटौती हुई और इसी के साथ यह 15.33 रुपए प्रति लीटर की दर पर आ गया।

वैट: पेट्रोल की कीमत में वैट भी शामिल होता है, जो कि अलग अलग राज्यों में अलग अलग होता है। देश के करीब 26 राज्यों में यह दर 25 फीसद की है। वैट के जरिए राज्य पेट्रोल के मार्फत अच्छा खासा रेवन्यू हासिल करती हैं।

  • रिटेल सेलिंग प्राइज में टैक्स: डीजल की रिटेल सेलिंग प्राइज में 44.6 फीसद हिस्सा टैक्स का होता है। वहीं पेट्रोल की रिटेल सेलिंग प्राइज में 51.6 फीसद हिस्सा टैक्स का होता है। शायद यही वजह है कि राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाए जाने का तीखा विरोध कर रहे हैं। हालांकि इसके उलट सरकार यह तर्क दे रही है कि इससे देश के आम आदमी को फायदा पहुंचेगा।
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