गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों के लिए बढ़ती ठंड जहां बेहतर साबित होगी, वहीं घटते तापमान से बढ़ेगी इन फसलों की मुश्किलें

गेहूं, चना और मसूर जैसी फसलों के लिए बढ़ती ठंड जहां बेहतर साबित होगी, वहीं घटता तापमान कुछ फसलों की मुश्किलें भी बढ़ाएगा। तिलहनी फसलों में सरसों और सब्जियों में आलू व हरी मटर समेत अन्य पत्तेदार सब्जियों के लिए गिरता तापमान घातक साबित हो सकता है। तापमान घटने से पाला पड़ने की आशंका के मद्देनजर किसानों को तरह-तरह के उपाय सुझाए जा रहे हैं। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक देश के उत्तरी और मध्य क्षेत्र में ठिठुरन अभी और बढ़ सकती है। इसके मद्देनजर कृषि मंत्रालय ने सभी राज्यों को अलग-अलग चेतावनी जारी कर फसलों की सुरक्षा के उपाय करने की सलाह दी है।

उत्तरी राज्यों में तापमान सामान्य से नीचे आ गया है। कई जगहों पर तापमान माइनस (शून्य से नीचे) में भी दर्ज किया जा रहा है। दिल्ली में तापमान तीन डिग्री सेल्सियस और राजस्थान के कई क्षेत्रों में यह माइनस में है। आलू की खेती वाले उत्तर प्रदेश में भी पिछले कई दिनों से पाला गिरने की सूचनाएं हैं।

गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में गेहूं की बोआई और पहली सिंचाई हो चुकी है। यहां गेहूं की फसलों के लिए घटता तापमान वरदान साबित होगा। कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर रमेश कुमार सिंह का कहना है कि गेहूं के लिए 12 से 22 डिग्री सेल्सियस का तापमान आदर्श होता है। इससे गेहूं और चने जैसी अन्य फसलों को बहुत फायदा मिलेगा। लेकिन पूर्वी राज्यों में धान की कटाई बहुत देर से हुई है, जिससे वहां रबी सीजन की प्रमुख फसल गेहूं की पिछैती बोआई में विलंब हुआ है। यहां के तकरीबन 40 प्रतिशत क्षेत्रों में बोआई अभी जारी है। इस बीच तापमान घटने और मिट्टी में ठंडक होने से बीजों के अंकुरण में काफी दिक्कत होगी। इस कारण गेहूं की उत्पादकता घट सकती है।

 

अरहर और सरसों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है कोहरा

उत्तरी क्षेत्र में होने वाली प्रमुख तिलहनी फसल सरसों की खेती पर बुरा असर पड़ने की संभावना है। सरसों अनुसंधान संस्थान के निदेशक डाक्टर पीके राय का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान में कई दिनों से जबर्दस्त पाला पड़ रहा है। जिन फसलों में प्राथमिक तौर पर दाने आने वाले हैं, उनके लिए यह घातक और नुकसानदेह होगा, जबकि पूर्वी राजस्थान में फसलों में फूल आए हैं, जिन्हें अभी खतरा नहीं है। लेकिन ठंड का यही आलम रहा तो खतरा हो सकता है। इस बाबत किसानों को तत्काल सिंचाई करने का सुझाव दिया गया है। सरसों की खेती के लिहाज से राजस्थान देश का पहले नंबर का राज्य है, जहां कुल सरसों की 40 प्रतिशत खेती होती है। कुछ क्षेत्रों में सुबह पड़ रहा कोहरा फूल लगी अरहर और सरसों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।

 

तापमान गिरने से पाला पड़ने की बनी रहती है आशंका

सब्जियों में प्रमुख आलू की खेती मध्य व पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में सर्वाधिक होती है। इसी तरह आलू की अगैती फसल की खेती पंजाब और हरियाणा में की जाती है। इन राज्यों में खेतों में खड़ी आलू की फसल के लिए तेज ठंड और पाला बहुत खतरनाक साबित हो सकता है। अकेले उत्तर प्रदेश में कुल आलू उत्पादन का 31 प्रतिशत से अधिक होता है। तापमान गिरने से पाला पड़ने की आशंका बनी रहती है। आइसीएआर के उपमहानिदेशक डाक्टर आनंद कुमार सिंह ने बताया कि आलू और हरी मटर के साथ पत्तेदार सब्जियां, आम के पेड़ों के साथ उत्तरी राज्यों में होने वाली केले की फसल पर विपरीत असर पड़ेगा। इसके लिए किसानों को जहां तत्काल सिंचाई का सुझाव दिया गया है, वहीं खेतों की मेड़ों पर धुआं करने की परंपरागत सलाह भी दी गई है।

Back to top button