एचबीटीयू के फूड टेक्नोलाजी विभाग ने आलू भुजिया की तरह तैयार की अरबी भुजिया, इसके अलावा अब चिप्स पर भी चल रहा काम

भारत में स्वादिष्ट लजीज व्यंजनों की बहार है। कुरकुरी, करारी और मसालेदार आलू भुजिया का नाम सुनकर मुंह में पानी आना लाजमी है। चाय, चाट-चाट पापड़ी हो या भेलपुरी और मैगी सभी के साथ मिलकर ये स्वाद बढ़ा देती है। इसीलिए ये हर उम्र के लोगों की पसंद बनी है। इस चाहत को हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवॢसटी (एचबीटीयू) के फूड टेक्नोलाजी विभाग के विशेषज्ञों ने नया स्वाद दिया है। यहां आलू की तरह अरबी की भुजिया बनाई गई है। पौष्टिकता से भरपूर ये भुजिया सेहत का खजाना संजोए है। विश्वविद्यालय ने इसकी तकनीक पेटेंट करा ली है। ये शोध दि पेटेंट आफिस जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

फूड टेक्नोलाजी विभाग के प्रो. विवेक सचान के नेतृत्व में शोधार्थियों ने अरबी की भुजिया और चिप्स बनाए। भुजिया को पेटेंट कराया गया है, जबकि चिप्स पर अभी और काम चल रहा है। विशेषज्ञों ने सबसे पहले रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से अरबी के गले व जीभ में जलन करने वाले कैल्शियम आक्सीलेट को खत्म किया।

180 डिग्री सेल्सियस तापमान पर किया फ्राई : प्रो.विवेक के मुताबिक जलन करने वाले पदार्थ को हटाने के बाद अरबी को उबाला गया। इसके बाद बेसन, मक्के का आटा, मोथ का आटा, नमक और रिफाइंड मिलाया गया। सभी को निर्धारित समय में मिक्स करने के बाद 180 डिग्री सेल्सियस में फ्राई किया गया।

स्टार्च ग्रेन्यूल्स पचाने में मददगार : उन्होंने बताया कि अरबी में स्टार्च ग्रेन्यूल्स बहुत छोटे-छोटे होते हैं। ये आलू की भुजिया के मुकाबले जल्दी पच जाते हैं। बच्चों के लिए भी ठीक है। अरबी से बनी भुजिया तेल कम सोखती है। स्वाद, रंग और करारापन भी बेहतर है। इसके अलावा अन्य पोषक तत्व भी ज्यादा है।

 

किसान बढ़ाएं पैदावार, होगी कमाई : प्रो. विवेक ने कहा कि आम तौर पर किसान अरबी कम ही उगाते हैैं लेकिन व्यावसायिक इस्तेमाल बढऩे से अब वह इसके प्रति प्रेरित होंगे। इससे उनकी कमाई भी बढ़ेगी।

कंपनी से चल रही बात, जल्द आएगी बाजार में : उन्होंने बताया कि इस उत्पाद को बाजार में उतारने के लिए अब कंपनियों से बात की जा रही है। उम्मीद है कि अगले साल तक ये बाजार में आ जाएगी।

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