12 साल के इस लड़के के कमाल को, पूरे देश ने किया सलाम

तमिलनाडु में खानाबदोश नारिकुरावार्स समुदाय के लिए 12 साल का एक लड़का उजाले की किरण लेकर आया है। इस समुदाय के लोग पीढ़ियों से सड़कों पर बीड्स बेचकर या भीख मांगकर ही अपना पेट पालते आए हैं। खानाबदोश नारिकुरावार्स समुदाय

इस समुदाय के लोग उपेक्षित रहते हैं, जो मुख्यधारा से बाहर रहते हैं और उन्हें शिक्षा व रोजगार जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं। मगर, शक्ति रमेश को समझ में आ गया है कि पढ़ाई से ही समाज का भला हो सकता है और उसने इसकी अलख जगानी भी शुरू कर दी है।

उसने समुदाय के अपने जैसे 25 अन्य बच्चों को शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया है और वह अपने समुदाय के लोगों की सोच में बड़ा बदलाव लाने जा रहा है। इसलिए उसका नाम इस साल के अंतरराष्ट्रीय शांति पुरस्कार के लिए भी नामित किया गया है।

इसे भी पढ़े: GST की वजह से भारत को होगा ये बड़ा लाभ, सुधरेगी भारत की रैंकिंग

घुमंतू समुदाय से होने के कारण कई बार स्कूल के स्टाफ के कर्मचारी उनसे से बार-बार दुर्व्यवहार करते थे, जिसके बाद बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया था। आठ साल की उम्र में उसने भी सरकारी स्कूल में पढ़ाई छोड़ने का फैसला कर लिया था। समाज की उपेक्षा के बाद वह बीड्स बेच रहा था। मगर, साल 2014 में उसकी जिंदगी में एक मौका आया।

गैर लाभकारी संस्था ‘हैंड इन हैंड इंडिया’ ने जब उसे पढ़ने का मौका दिया, तो वह न सिर्फ खुद आगे बढ़ा, बल्कि उसने अपने जैसे 25 अन्य बच्चों को भी पढ़ने के लिए प्रेरित किया। यह संगठन शिक्षा, रोजगार सृजन और सामुदायिक विकास को जोड़कर गरीबी मिटाने का काम करता है।

जहां पर स्कूल छोड़ने वाले बच्चे होते हैं और चाइल्ड लेबर होता है, वहां यह संगठन खास कार्यक्रम चलाता है और बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए यह संगठन रेसिडेंशियल स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर चलाता है। शक्ति ने न सिर्फ इस बात को समझा, बल्कि वह दूसरे बच्चों के माता-पिता को भी यह समझाकर पढ़ाई के लिए प्रेरित कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button