इनकी बेबसी लाचारी पर आ रहे आंसू… भूख को मिटाने के लिए पानी में डुबोकर खाई चार दिन पुरानी रोटी

भोपाल के रास्तों से मप्र, महाराष्ट्र, राजस्थान, उप्र, गुजरात, तेलंगाना आदि राज्यों में मजदूरों का पलायन जारी है। जिंदा रहने के लिए रोज हजारों मजदूर अपने घरों की तरफ रुख कर रहे हैं। कोई पैरों में छालों की परवाह किए बगैर आगे बढ़ रहा है तो कोई ट्रक-ट्रालों या मैजिक में भेड़-बकरियों की तरह ठुंसकर भूखे-प्यासे ही हजारों किमी का सफर तय कर रहा है।

कई मजदूर तो पेट की भूख मिटाने के लिए अपने साथ लाई गई चार दिन पुरानी रोटी भी पानी में डुबोकर खा रहे हैं। इन मजदूरों की मौसम भी परीक्षा ले रहा है, लेकिन इन्हें न तो तेज धूप व गर्मी की चिंता है और न ही आंधी-बारिश का डर। मन में मलाल सिर्फ इतना है कि जिनके साथ वर्षों से काम कर रहे थे, वे एक पल में बेगाने हो गए। फैक्टरियां बंद हो गईं और मालिकों ने मजदूरों को अपने हाल पर छोड़ दिया। न रुपये दिए और न ही कोई आसरा। अब जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इस उम्मीद में चले जा रहे हैं कि कभी तो उनकी मंजिल आएगी और वे अपने घर पहुंचेंगे। नवदुनिया ने जब भोपाल से गुजरते मजदूरों का हाल जाना तो अलग-अलग दास्तां सामने आई। राजगढ़ चौराहा नया बायपास से लाइव रिपोर्ट.

मूलतः उप्र के बनारस के रहने वाले बहादुर मुंबई में ऑटो चलाते हैं। लॉकडाउन में उनके सामने खाने-पीने की समस्या खड़ी हो गई। इसलिए वे पत्नी व बच्चों के साथ बनारस जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि तीन दिन से चल रहे हैं। पत्नी रोटी बनाकर लाई थी, जो कड़क हो गई। इसलिए उसे पानी में डुबोकर खा ली। रास्ते में जो कुछ खाने-पीने को मिला, उससे पेट की भूख मिटा ली।

राजगढ़ चौराहे के पास नया बायपास पर शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र से उप्र के सिद्घार्थनगर जा रहा एक मिनी ट्रक पलट गया। उसमें 40 से अधिक मजदूर व उनके परिजन सवार थे। इनमें से 11 लोगों को चोंटें आईं। मुंबई के मुहिब खां (32) व उसकी चार साल की बेटी गुड़िया को सिर में चोंट लगी। तुरंत एम्बुलेंस मौके पर पहुंची और घायलों का अस्पताल लेकर इलाज कराया। इलाज के बाद मजदूर अस्पताल में रुकने की बजाय राजगढ़ चौराहे पर आ गए और थोड़ी देर रुकने के बाद फिर आगे बढ़ गए। मुहिब ने बताया कि मिट्टी के ढेर पर गाड़ी का पहिया चढ़ा और पलट गया। चोंट आई लेकिन रुकने की बजाय घर जाना ज्यादा जरूरी है। इसलिए जा रहे हैं।

मुंबई में रहकर टाइल्स फैक्टरी में काम कर रहे वाले अर्जुन नारायण परिवार के साथ अपने घर बनारस जा रहे हैं। ऑटो भाई प्रेमनारायण चला रहा है। ऑटो में अर्जुन, प्रेम समेत परिवार के सात सदस्य सवार है। परिजन लक्ष्मी की गोद में सात माह की बेटी गुड़िया है। लू के थपेड़े लगने से नन्हीं बच्ची बिलख पड़ती है। प्रेम ने बताया कि मुंबई से तीन दिन पहले चले हैं। अभी बनारस 800 किमी दूर है।

अपने घर जाने के लिए मजदूर ट्रक-ट्राले, मैजिक या अन्य वाहनों से भी सफर कर रहे हैं। ट्रक-ट्रालों में 100 से अधिक सवारियां भरी होती हैं। तेज गर्मी के कारण मजदूर व उनके परिजनों का दम घुटने लगता है। शुक्रवार को नया बायपास से गुजर रहे एक ट्रक में बैठे लोगों का दम घुटने लगा। तुरंत उन्हें बाहर निकाला गया। ट्रक में मजदूरों को मुंबई से उप्र के जौनपुर व अन्य जगह ले जाया जा रहा था। इसी तरह एक मैजिक में 25 लोग सवार थे तो कुछ ट्रकों के केबिन के ऊपर लोग सवार थे।

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